रफीक खान
मध्य प्रदेश कैडर की आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या का विवादों से गहरा नाता रहा है। कलेक्ट्री हासिल करने के लिए भी उन्होंने सरकार पर भेदभाव करने का आरोप खुलकर लगाया था। उन्हें इन्हीं हालात के चलते डिंडोरी जिले की कमल सौंपी गई लेकिन वहां पहुंचते ही उन्होंने मनमानी और अपनी अकर्मणय कार्य शैली का प्रदर्शन किया। नतीजन काफी विरोध हुआ। राज्य सरकार हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर हुई। कलेक्टर द्वारा करीब 450 शिक्षकों के तबादला आदेश निरस्त कर दिए गए। इसके अलावा कलेक्टर के निर्देश पर नियम विरुद्ध काम करने वाले अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग प्रबल हो रही है। IAS Neha Marwa is once again in controversy, the state government cancelled the transfer of 450 teachers in Dindori, MP
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि विगत एक माह से मनमाने तबादले का विरोध जिले भर में चल रहा था। लगभग 200 शिक्षको को इस मनमानी तबादले के चलते उच्च न्यायालय से स्थगन भी मिल चुका था। उप सचिव मध्य प्रदेश शासन के द्वारा जारी आदेश में जिले में किए गए 438 शिक्षकों के मनमानी पूर्वक युक्तयुक्तकरण को निरस्त करने का आदेश जारी किया गया है।इसी तरह कलेक्टर द्वारा तीन प्राचार्य जो की द्वितीय श्रेणी के थे जिले के अंदर स्थानांतरण किया गया था। इस आदेश को मध्य प्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी स्थानांतरण नीति 2025 के पेरा 5 एवं 6 के अनुरूप नहीं पाया गया। इसी के चलते प्राचार्य का स्थानांतरण भी निरस्त कर दिया गया है। कलेक्टर द्वारा 12 उच्च माध्यमिक शिक्षकों का भी जिले के अंदर तबादला किया गया था। यह भी नियम विरुद्ध तबादला होने से तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया। 3 जुलाई 2025 को 156 शिक्षकों का एवं दूसरे आदेश से 280 शिक्षकों का कुल 438 शिक्षकों का युक्तयुक्तकरण कर मनमानी पूर्वक पदस्थापना की गई थी। इसमें भी बड़ी मनमानी सामने आने से यह सभी तबादला आदेश निरस्त कर दिए गए हैं। जारी आदेश के तहत 11 जुलाई को 139 छात्रावास अधीक्षकों की प्रदस्थापन की गई थी। इस आदेश में भी बड़ी मनमानी सामने आने पर इसे निरस्त कर दिया गया है। बताया गया कि छात्रावास अधीक्षक का प्रभार सौंपने संबंधी निर्देश 16 मार्च 2015 के अनुरूप कार्रवाई करने की निर्देश दिए गए हैं। इस सबके बावजूद कलेक्टर के प्रति अधीनस्थ कर्मचारियों का विरोध थमा नहीं है।