MP High Court : यह जरूरी नहीं है कि संविधान द्वारा मिले हर अधिकार का उठाया जाए आनंद, खुद को बालिग बताकर परिवारजनों की मर्जी के खिलाफ साथ रहने वाले युवक युवती की याचिका पर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने की तल्ख टिप्पणी - khabarupdateindia

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MP High Court : यह जरूरी नहीं है कि संविधान द्वारा मिले हर अधिकार का उठाया जाए आनंद, खुद को बालिग बताकर परिवारजनों की मर्जी के खिलाफ साथ रहने वाले युवक युवती की याचिका पर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने की तल्ख टिप्पणी



रफीक खान
खुद को बालिक बताकर परिवारजनों की मर्जी के खिलाफ साथ रहने वाले युवक-युवती की एक याचिका पर MP High Court Indore मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह जरूरी नहीं है कि संविधान द्वारा मिले हर अधिकार का आनंद उठाया जाए। जीवन में हर पहलू का अपना एक अहम स्थान होता है और सभी पर ध्यान रखना जरूरी है लेकिन चिंता की बात है कि आजकल युवा कुछ हटकर विकल्प चुन रहे हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि हमारे देश में बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसका मतलब है कि आपको अपनी और अपने साथी की रोजी-रोटी का इंतजाम खुद ही करना है। आपको कम उम्र में ही जीवन के संघर्ष में उतरना होगा। इससे जीवन पर काफी असर पड़ेगा और आपकी समाज में स्वीकार्यता भी प्रभावित होगी।
जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 19 वर्षीय युवक-युवती की याचिका को स्वीकार करते हुए पुलिस प्रशासन को समुचित सुरक्षा के आदेश दिए। युवक-युवती खरगोन जिले के निवासी हैं और स्वजन की इच्छा के विरुद्ध साथ रहना चाहते हैं। दोनों ने यह कहते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी कि वे वयस्क हैं और उन्हें अपनी मर्जी से जीने का अधिकार है। संविधान ने भी उन्हें इसका अधिकार दिया है। वे जहां चाहें, वहां और जिसके साथ चाहें, उसके साथ रह सकते हैं, लेकिन स्वजन विरोध कर रहे हैं। उन्हें अपने स्वजन से खतरा है। युवक-युवती ने पुलिस के माध्यम से सुरक्षा दिलवाए जाने की मांग की थी।शासन की तरफ से एडवोकेट अमय बजाज ने तर्क रखा कि हिंदू धर्म में ऐसे संविदा विवाह की अनुमति नहीं है। यह युवाओं के लिए एक खराब उदाहरण स्थापित करेगा। कोर्ट ने याचिका स्वीकारते हुए कहा कि यह बात सही है कि युवक और युवती दोनों वयस्क हैं। हालांकि युवक की उम्र 21 वर्ष से कम है। बावजूद इसके हमें उसकी इच्छा का सम्मान करना होगा। 6 पेज के फैसले में MP High Court Indore ने कहा कि सलाह यह है कि ऐसे विकल्पों को चुनते समय विवेक रखना चाहिए।