रफीक खान
ट्रेनों में यूरिनल तक नहीं है। बोतल और पॉलिथीन में लघु शंका करना लोको पायलट की मजबूरी है। रात के अंधेरे में बोतल और पॉलिथीन को फेंकना पड़ता है। चार-चार नाइट ड्यूटी लगातार कराई जा रही है। ड्यूटी का ना कोई टाइम टेबल है और ना ही नियम कायदा। ऐसी स्थिति में सुरक्षा और संरक्षा दोनों पर ही संकट बना हुआ है। दूसरा 52 डिग्री तापमान में ट्रेन को चलाना किस तरह की मानसिक स्थिति में होता होगा? इसका जिम्मेदारों को कोई अंदाजा नहीं है। आपातकाल स्थिति में सेकंड्स में फैसला लेना होता है।
यह तमाम संवाद भारतीय रेलवे के लोको पायलेट्स का है, जो उन्होंने लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा कांग्रेस के दिग्गज सांसद राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान चर्चा करते हुए व्यक्त किए। राहुल गांधी लोको पायलट से मिलने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने लोको पायलट से उनकी कार्य शैली, दिनचर्या से लेकर तमाम तरह के विषयों पर खुलकर चर्चा की। लोको पायलट की समस्याओं को लोकसभा में वजनदारी के साथ उठाने का आश्वासन दिया लेकिन इस बीच ही रेल मंत्री का बयान सामने आ गया और उन्होंने सीधे तौर पर कह दिया कि यह राजनीति हो रही है। रेलवे को लेकर राजनीति नहीं करना चाहिए। राहुल गांधी ने अपने फेसबुक पर लिखा, 'आज नई दिल्ली में देश भर से आए 50 लोको पायलटों से मुलाकात की। प्रतिदिन हज़ारों ट्रेन यात्रियों की ज़िम्मेदारी होती है इनके कंधों पर। मगर, देश के यातायात की ये रीढ़ सरकार की उपेक्षा और अन्याय का शिकार है। बिना उचित आराम और सम्मान के काम करने पर विवश हैं। उनकी समस्याएं सुन कर उनकी आवाज़ बुलंद करने का आश्वासन दिया - पहले भी किया है, और न्याय मिलने तक करता रहूंगा। कांग्रेस ने राहुल गांधी और लोको पायलटों की मुलाकात पर एक्स पर लिखा, 'नेता विपक्ष राहुल गांधी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लोको पायलट्स से मुलाकात की। ये लोको पायलट देश की Life line कही जाने वाली रेलवे की रीढ़ हैं। इनके जीवन को सरल और सुरक्षित करना रेलवे सुरक्षा की ओर हमारा एक मजबूत कदम होगा।'