अहमदाबाद प्लेन क्रैश: ब्लैक बॉक्स से हैं ये उम्मीदें, हर एंगल से की जा रही जांच, सुरक्षा एजेंसियां भी एक्टिव मोड में - khabarupdateindia

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अहमदाबाद प्लेन क्रैश: ब्लैक बॉक्स से हैं ये उम्मीदें, हर एंगल से की जा रही जांच, सुरक्षा एजेंसियां भी एक्टिव मोड में


रफीक खान
अहमदाबाद में प्लेन क्रैश होने के बाद घटना के करण का पता लगाने के लिए लगातार जांच एजेंसियां जुटी हुई है। हर एंगल से जांच पड़ताल की जा रही है। घटना दुर्घटना या साजिश के किसी भी पहलू को जांच एजेंसी छोड़ना नहीं चाहती हैं। सुरक्षा एजेंसियां भी एक्टिव मोड में है। एटीएस और एनआईए के अलावा भी पड़ताल चल रही है। इस सब के बीच शुक्रवार को ब्लैक बॉक्स भी मिल गया। मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल की छत पर मिले ब्लैक बॉक्स से तकनीकी टीम को काफी जानकारी हासिल होने की उम्मीद है। किसी भी जहाज में दुर्घटना के बाद ब्लैक बॉक्स ही एक ऐसा यंत्र है, जिससे घटना की तह तक पहुंचने में काफी मदद मिल जाती है। Ahmedabad plane crash: These are the expectations from the black box, investigation is being done from every angle, security agencies are also in active mode

उल्लेखनीय है कि ब्लैक बॉक्स में फ्लाइट रिकॉर्डर होता है,जो प्लेन में पीछे की तरफ लगाया जाता है ताकि दुर्घटना में इसके बचने की संभावना ज्यादा रहे। इसमें दो डिवाइस होती हैं—1 फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और 2 कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) कहा जाता है। FDR विमान की गति, ऊंचाई, इंजन की स्थिति, रूट, विंग्स, थ्रस्ट, पिच जैसी 80+ तकनीकी जानकारियां रिकॉर्ड करता है। ब्लैक बॉक्स आमतौर पर ऑरेंज कलर का होता है ताकि दूर से भी साफ दिख सके और रेस्क्यू टीम इसे आसानी से खोज सके। इस तरह से भी समझ सकते हैं कि CVR में कॉकपिट में होने वाली बातचीत रिकॉर्ड होती है। आसान शब्दों में कहें तो विमान जब टैक्सी बे से रनवे पर आता है और जब टेक ऑफ होता है तो कॉकपिट में जो पायलट और को-पायलट के बीच बात होती है। उसकी रिकॉर्डिंग सीवीआर में होती है। यानी इस हादसे में प्लेन में पायलट बैठने से लेकर हादसे तक की उनकी बातचीत, उनको होने वाली समस्याओं, उन्हें क्या-क्या किया और क्या कॉल लिए होंगे, ये सब रिकॉर्ड होता है। इस दौरान क्या पायलट या को-पायलट से कोई गलती हुई, उन्होंने क्या कमांड दिए, ये सब रिकॉर्ड होता है। DFDR का क्या काम होता है? डीएफडीआर में मैकेनिकल, टेक्निकल और इलेक्ट्रिकल ऑपरेटिंग डेटा की जानकारी रिकॉर्ड होती है। प्लेन की इंजन में खराबी आई, या क्या कोई टेक्निकल या मैकेनिकल दिक्कत थी या फिर कोई इलेक्ट्रिकल दिक्कत थी। डीएफडीआर के डेटा से ये सब पता चलता है। जांच कर रही AAIB को ब्लैक बॉक्स सौंप दिया गया है। काउंसिल ऑफ इंडियन एविएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन जाधव ने भी इसकी पुष्टि की है। ऐसा कहा जा रहा है कि ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद इसकी जांच की जाएगी। ब्लैक बॉक्स की जांच 2 तरीकों से हो सकती है। अगर भारत में ब्लैक बॉक्स की जांच की जाती है तो इसकी रिपोर्ट को आने में 2 से 4 दिन का समय लग सकता है। वहीं अगर ब्लैक बॉक्स की जांच बोइंग कंपनी करती है या फिर बोइंग की इंजन बनाने वाली कंपनी (जनरल इंजन) इसकी जांच करती है, तो इस रिपोर्ट को आने में 10 से 15 दिन का समय लग सकता है, क्योंकि जनरल इंजन का मुख्यालय अमेरिका के सिएटल में स्थित है।