भारतीय जनता पार्टी की तरफ से गुना तथा विदिशा विधानसभा क्षेत्र की प्रत्याशी फाइनल नहीं हो पा रहे थे। रविवार को केंद्रीय चुनाव समिति ने गुना से अनुसूचित जाति वर्ग के पन्नालाल शाक्य तथा विदिशा से मुकेश टंडन के नाम पर मोहर लगा दी। दोनों ही जगह भाजपा के कद्दावरों के बीच खींचतान मची हुई थी। गुना में जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया अपना चाहिता चेहरा चाहते थे, वही विदिशा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं विशेष दिलचस्पी के साथ अड़े हुए थे।
विदिशा विधानसभा सीट 1972 में कांग्रेस से सूर्यप्रकाश सक्सेना जीते थे। इसके बाद 1977 में यहां जनता पार्टी और उसके बाद 2018 तक लगातार भाजपा ही जीतती रही। 2018 में मुकेश टंडन यहां कांग्रेस के शशांक भार्गव से चुनाव हार गए। विदिशा संसदीय सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सांसद रह चुके हैं। विदिशा को भाजपा की सबसे सुरक्षित सीटों में माना जाता है। गुना सीट पर शुरू से ही सिंधिया घराने का प्रभाव रहा है। 1957 में विजयाराजे सिंधिया जनसंघ से सांसद रहीं। इसके बाद 1971 से 1984 तक यहां ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया कांग्रेस से सांसद रहे। 1989 से 1999 तक फिर विजयाराजे सिंधिया भाजपा से सांसद रहीं। 1999 में माधवराव जीते। 2001 में उनके निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया इस सीट से 2019 तक लगातार जीतते रहे यानि पार्टी चाहे जो हो इस सीट पर सिंधिया घराने का प्रभाव जरूर रहा है।
विदिशा KE 5 दावेदार चेहरों में संघ और सरकार किसी एक चेहरे पर एकमत नहीं RAHA। यही वजह है कि यहां से नाम होल्ड रखा गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यहां से श्याम सुंदर शर्मा के नाम का पक्षधर रहे जबकि पिछली बार चुनाव हारने वाले मुकेश टंडन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी हैं। पूर्व वित्त मंत्री राघवजी की बेटी ज्योति शाह और मनोज कटारे भी दावेदारी कर रहे थे।विदिशा में मुकेश टंडन पिछला चुनाव हार चुके हैं। शिवराज सिंह चौहान जब मध्यप्रदेश युवा मोर्चा के अध्यक्ष हुआ करते थे, तब मुकेश टंडन भाजपा का कार्यालय संभालते थे। इसलिए केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में विदिशा से मुकेश टंडन के नाम का प्रस्ताव चुनाव अभियान समिति के प्रमुख नरेंद्र सिंह तोमर ने रखा।