रफीक खान
मध्य प्रदेश की डॉ मोहन यादव सरकार के कबीना मिनिस्टर नागर सिंह चौहान का क्या मंत्री पद भी जाएगा? इस बात की अटकलें मंत्रालय से लेकर भारतीय जनता पार्टी कार्यालय तक जमकर लगाई जा रही है। दरअसल चार दिन पहले जिन नागर सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश की पूरी सरकार को आड़े हाथों ले लिया था। अब वह खुद बुरी तरह बैक फुट पर आ गए हैं। वजह इसकी यह है कि नागर सिंह चौहान की एक नोट शीट बाहर आ गई और इस नोट शीट से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की कर गुजरी की पूरी पोल खुल गई है। कटनी के एक व्यापारी को किस तरह से लाभ दिलाने के लिए नागर सिंह चौहान उतावले हो रहे हैं, नोट शीट इस पुरी बात को साफ तौर पर बयां कर रही है। नोट शीट तक मामला पहुंचाने वाले एक दलाल का नाम भी सामने आया है। जावेद नाम का यह दलाल कुक्षी धार का रहने वाला है और यह पूरा मामला डॉक्टर मोहन यादव के संज्ञान में होते हुए दिल्ली तक भी पहुंचा दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में आए विधायक रामनिवास रावत को मंत्री पद से नवाजने के बाद उनसे पहले कांग्रेस पद से इस्तीफा दिलवाया गया और उसके बाद नागर सिंह चौहान का दायित्व कम करते हुए, वन एवं पर्यावरण विभाग का मंत्रालय सौंपा गया। बस रामनिवास रावत को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय दिए जाने के बाद नागर सिंह चौहान आग बबूला हो गए, उन्होंने इस बात का जमकर विरोध किया और खुलकर मीडिया के सामने आकर मंत्री पद के साथ ही अपनी पत्नी की सांसदी तक के इस्तीफा की बात कह डाली। नागर सिंह चौहान के इस कदम के बाद भारतीय जनता पार्टी और मध्य प्रदेश शासन में हड़कंप मच गया और दिल्ली तक के कान खड़े हो गए। हालांकि भारतीय जनता पार्टी उनकी हर कारगुजारी को पहले से ही नज़र रखते हुए नब्ज़ दबा कर रखी हुई थी। इसलिए वह चिंतित नहीं हुई, दिल्ली से लेकर भोपाल तक की दौड़ नागर सिंह चौहान की बेअसर रही और जब प्रदेश के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने उन्हें आईना दिखाया तो वह बैक फुट पर पहुंच गए। कहा जाता है कि नागर सिंह चौहान को उनकी यह नोट शीट तथा इसके अलावा जावेद दलाल द्वारा चलाए जा रहे मंत्रालय के बारे में जब जानकारी दी गई और कुछ सवाल किए गए? तो पूरी की पूरी स्थिति ही बदल गई। जो मंत्री जी आग बबूला हो रहे थे, वह मुस्कुराते हुए अंदाज में नजर आने लगे। नोट शीट में कटनी जिले की ढीमरखेड़ा तहसील अंतर्गत ग्राम झिन्ना और हरराई से संबंधित एक जमीन का बड़ा मामला है। जिसमें विधि सम्मत राय से लेकर तमाम तरह की बातों का जिक्र कर उसका पालन सुनिश्चित करवाने के लिए निर्देशित किया गया है।