रफीक खान
मध्य प्रदेश के जिस जबलपुर शहर में कलेक्टर दीपक सक्सेना द्वारा निजी स्कूलों की मनमानी और अवैध फीस वसूली के खिलाफ की गई कार्रवाई के चर्चे पूरे देश में तारीफों के साथ किए गए। उसी जबलपुर शहर के निजी स्कूलों की आज भी हालत यह है कि वह पूरी तरह से बेलगाम है। वही अवैध फीस वसूली, वही मनमानी बदस्तूर जारी है। ऐसा लग रहा है कि कलेक्टर द्वारा की गई उक्त रेंडम कार्रवाई का असर निजी स्कूल संचालकों पर पड़ा ही नहीं है। निजी स्कूल संचालक निर्भयता के साथ अपने हठधर्मी रवैए पर कायम है। बुधवार को सेंट एलाइसिस स्कूल पोलीपथर St Aloysius School Polipathar Jabalpur में तो नजारा ही देखते बनता था। जहां तथाकथित तौर पर लेट आने वाले बच्चों को बाहर खड़ा कर दिया गया और यह संख्या 1 या 2 नहीं बल्कि 300 से भी ज्यादा थी। छोटे-छोटे बच्चे रोते बिलखते रहे, कोई अपने स्कूल वैन वाले को पुकार रहा था तो कोई अपने गार्जियन को लेकिन वहां कोई सुनने वाला नहीं था। और जब कुछ एक गार्जियन ने स्कूल प्रबंधन से बात की तो टका सा जवाब दे दिया गया कि यहां से टीसी लो और आगे बढ़ो।
घंटा परेशान हुए अभिभावकों का आरोप है कि फीस मामले में प्रशासन की सख्ती से बौखलाए स्कूल संचालक और प्रबंधन ने बच्चों के साथ शत्रुतापूर्ण का बर्ताव करने पर आमादा हैं। पोलीपाथर के सेंट अलायसिस स्कूल में सुबह बच्चों को एक घंटे से ज्यादा समय तक बाहर खड़ा रखा गया। स्कूल मैनेजमेंट ने मेन गेट में ताला लगा दिया। बाहर खड़े छोटे छोटे बच्चे रोत बिलखते रहे पर प्रबंधन का दिल नहीं पसीजा। स्कूल के तय समय से करीब 2-3 मिनट लेट पहुंचने पर बच्चों को ये सजा दी गई। छोटे बच्चे रोने लगे तो अभिभावकों ने हंगामा कर दिया। ईसाई मिशनरी के इस स्कूल की शिकायत कलेक्टर दीपक सक्सेना को भी की गई। उनके पास वायरल हो रहे वीडियो भी पहुंचे हैं। कलेक्टर ने अभिभावकों को उचित कार्रवाई करने का आश्वासन भी दिया है। इस पूरे मामले के सामने आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि अब जबलपुर शहर में निजी स्कूलों पर लगाम कसने के लिए कार्रवाई का निरंतर होना आवश्यक है।