डॉक्टर की मौत की गुत्थी सुलझाने मदन महल से लेकर उमरिया तक की पुलिस जुटी - khabarupdateindia

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डॉक्टर की मौत की गुत्थी सुलझाने मदन महल से लेकर उमरिया तक की पुलिस जुटी

डॉक्टर की मौत की गुत्थी सुलझाने मदन महल से लेकर उमरिया तक की पुलिस जुटी


Highlights : मोबाइल पर सभी की निगाहें, खुल सकता है राज

जबलपुर। मदन महल स्टेशन के समीप स्थित आशीष हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉक्टर शिवाकांत गुप्ता उर्फ आशीष की मौत को लेकर ना सिर्फ चिकित्सा हल्के में जमकर चर्चा हो रही है बल्कि पुलिस के लिए भी यह गुत्थी बड़ी हुई उलझी हुई मिली है। मदन महल पुलिस से लेकर उमरिया पुलिस तक जांच के जरिए तह तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। मृतक डॉ आशीष के मोबाइल से कई राज बाहर आने की भी पुलिस उम्मीद लगाए हुए हैं।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक प्राथमिक पूछताछ में किसी भी प्रकार की परिवारिक कलह न होने की बात सामने आई है। डॉक्टर का घर से भागकर उमरिया जिले में आत्महत्या करने की वजह भी पुलिस तलाश रही है। डॉक्टर गुप्ता अपनी कार से उमरिया क्यों गए, कार नरौजाबाद स्टेशन के पास क्यों खड़ी की और आत्महत्या 15 किलोमीटर दूर बिरसिंहपुर पाली में क्यों की ये सभी सवाल पुलिस की जांच में शामिल हैं।

डॉक्टर शिवकांत गुप्ता की मौत के बाद डॉक्टर लॉबी में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। किसी के पास डॉक्टर द्वारा आत्महत्या करने की वाजिब जानकारी नहीं है, पर डॉक्टर की मौत से सभी दुखी हैं। बताया जाता है कि 42 वर्षीय डॉक्टर का विवाह नहीं हुआ था, लेकिन कहीं उनके विवाह होने की चर्चा चल रही थी। डॉक्टर शिवकांत गुप्ता शादी करने से बचते रहे हैं। पिता सहित परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा शादी की बात की जाती तो वह कोई भी बहाना कर टाल देते थे। मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण पुलिस सुसाइड के हर एंगल को तलाश रही है। मृत डॉक्टर शिवकांत गुप्ता के साथी और बेहद करीबी डॉक्टरों सहित आशीष हॉस्पिटल के स्टाफ से पुलिस जल्द पूछताछ करेगी।


यह है मामला

नेपियर टाउन निवासी डॉ. शिवकांत गुप्ता उर्फ आशीष गुरु वार सुबह लगभग 5:30 बजे मॉर्निंग वॉक के लिए घर से निकले थे। डॉ. सुबह अपनी कार एमपी 20 सीए 8758 से निकले थे,मोबाइल फोन भी घर पर रखा था। दोपहर तक जब कुछ पता नहीं चला, तो परिजनों ने मदलमहल थाने गुमशुदगी दर्ज कराई थी। इधर डॉ. गुप्ता का शव गुरु वार रात ही बिरिसंहपुर पाली स्थित रेलवे ट्रेक पर मिला। पाली पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करा पहचान के प्रयास किए, लेकिन पहचान नहीं होने पर लावारिस समझकर लाश को दफन कर दिया था। शिनाख्त-पहचान होने पर एसडीएम की अनुमति के बाद लाश कब्र से निकालकर परिजनों के सुपुर्द किया गया था।