Rafique Khan
मध्य प्रदेश पुलिस में राज्य पुलिस सेवा संवर्ग के अधिकारी एएसपी अमृतलाल मीणा पर एफआईआर दर्ज की गई है। मीणा पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल की है। फर्जी जाति प्रमाण पत्र का यह मामला लंबे समय तक कोर्ट में चलता रहा और लगातार अलग-अलग प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद एफआईआर तक पहुंचा है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए विदिशा के एडिशनल एसपी समीर यादव ने बताया कि विधानसभा चुनाव से पहले अमृतलाल रायसेन जिले में एएसपी थे। उन्होंने लटेरी तहसील से जाति प्रमाण पत्र बनवाया था, जिसमें आनंदपुर थाना क्षेत्र का निवासी होना बताया था। रायसेन जिले में पदस्थ रहे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अमृतलाल मीणा के खिलाफ विदिशा जिले के आनंदपुर थाने में अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज हुआ है। मीणा वर्तमान में ग्वालियर में पदस्थ हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी
जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के मामले में साल 2016 में राज्य स्तरीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इस दौरान कई अधिकारियों पर केस दर्ज हुए थे, लेकिन मीणा तब हाइकोर्ट से स्टे लेकर आ गए थे। अब स्टे की अवधि समाप्त होते ही उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। विदिशा के एएसपी समीर यादव ने बताया कि जांच समिति की ओर से 7 दिसंबर को आनंदपुर थाने में अमृतलाल मीणा के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई थी। अब उन्हें दोबारा स्टे मिलने की बात सामने आई है, इसलिए आगे की कार्रवाई नहीं हो सकी है।
दस्तावेज और कहानी इस प्रकार
एडीशनल एसपी अमृतलाल मीणा के फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश के पूरे के पूरे सिस्टम संचालकों को ही नोटिस जारी कर हाजिर होने के आदेश दिए हैं। मामले के पिटीशनर सागर निवासी विनयकांत सुहाने के एडवोकेट निखिल तिवारी ने पूरा मामला उजागर किया।
- वर्ष 1995—96 में हुई पीएससी परीक्षा में आरोपी अमृतलाल मीणा डीएसपी के लिए चयनित हुए। इस परीक्षा में उन्होंने स्वयं को अनुसूचित जनजाति का सदस्य बताया था एवं जो जाति प्रमाण पत्र लगाया गया था वो तहसील लटेरी जिला विदिशा से जारी किया गया बताया था।
- 1996 में चयनित हो जाने के बाद अमृतलाल मीणा को ज्वाइनिंग 1999 में मिली अर्थात सिलेक्शन के 3 साल तक उन्हें ज्वाइनिंग नहीं दी गई। इस दौरान यह मामला जांच के लिए हाईपॉवर स्क्रूटनी कमेटी में भेजने का विचार किया गया, परंतु बाद में नहीं भेजा गया और ज्वाइनिंग दे दी गई।
- 1999 से लगातार आज तक लगभग 15 साल तक अमृतलाल मीणा न केवल लगातार सेवा में हैं बल्कि इस दौरान उन्हें पदोन्नति भी मिली।
- पिटीशनर श्री सुहाने ने इस मामले की तह तक जाने के लिए आरटीआई के तहत तहसील लटेरी जिला विदिशा से जानकारी मांगी कि क्या अमृतलाल मीणा उनके प्रभावक्षेत्र के निवासी हैं, तहसील प्रशासन लटेरी द्वारा बताया गया कि अमृतलाल मीणा पुत्र श्री रामदयाल मीणा प्रपौत्र श्री बिहारीलाल मीणा उनके इलाके के निवासी नहीं हैं।
- अमृतलाल मीणा तहसील लटेरी से जारी जाति प्रमाण पत्र से नौकरी प्राप्त कर रहे हैं तो उधर तहसीलदार का कहना है कि वो यहां के निवासी ही नहीं हैं। यहां बता दें कि उन दिनों मध्यप्रदेश के केवल सिरोंज अनुविभाग में मीणा जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा मिला था, शेष मध्यप्रदेश में कहीं भी यह दर्जा नहीं मिला था।
- पिटीशनर श्री सुहाने ने इसकी पड़ताल की तो आरटीआई के तहत मिली जानकारी में पता चला कि अमृतलाल मीणा पुत्र श्री रामदयाल मीणा प्रपौत्र श्री बिहारीलाल मीणा ग्राम हरीच्छा जिला गुना के निवासी हैं। प्रशासन ने इसकी पुष्टि की है।