कभी पकोड़े की दुकान लगाते थे तलवारबाजी में माहिर नए CM मोहन यादव, जीवन में खूब किया संघर्ष - khabarupdateindia

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कभी पकोड़े की दुकान लगाते थे तलवारबाजी में माहिर नए CM मोहन यादव, जीवन में खूब किया संघर्ष





Rafique Khan

मध्य प्रदेश के वजीरे आला की कुर्सी के लिए मोहन यादव का नाम घोषित होने के बाद उनके जीवन से जुड़ी कई चीजे लगातार वायरल हो रही है। यूट्यूब के एक वीडियो के माध्यम से उनकी तलवारबाजी के कौशल का प्रचार - प्रसार हो रहा है। वही यह भी कहा जा रहा है कि मोहन यादव के जीवन की शुरुआत बेहद संघर्ष पूर्ण रही है और एक समय उन्होंने पकौड़े की दुकान लगाकर अपना जीवन यापन किया था। हालांकि आज मोहन यादव एक बेहद सुशिक्षित पीएचडी और एमबीए शुदा व्यक्तित्व के धनी है।

जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संघर्ष के दिनों में चाय बेचा करते थे। ऐसे ही मध्यप्रदेश के नए सीएम मोहन यादव अपने पिता पूनमचंद यादव के साथ दुकान पर पकौड़े बेचते थे1 चार भाई-बहनों में सबसे छोटे मोहन यादव पिता के साथ काम में हाथ बंटाते थे। मोहन ने चुनौतीपूर्ण हालात में ही पढ़ाई के साथ छात्र राजनीति के जरिए मुख्यमंत्री तक का सफर पूरा किया। यादव उज्जैन में कई अवसरों पर लट्ठ और तलवारबाजी के जौहर दिखा चुके हैं। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के समय से ही शहर में निकलने वाले जुलूस और जलसों में अखाड़ों के साथ तलवारबाजी और लट्ठ का प्रदर्शन करते हैं। खेलों में खास दिलचस्पी है। मध्यप्रदेश कुश्ती एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष और मप्र ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष भी हैं। यादव के पास एक बंदूक और एक रिवाल्वर का लाइसेंस है।

पूनमचंद यादव के घर जन्मे मोहन

1965 में गीता कालोनी निवासी पूनमचंद यादव के घर जन्मे मोहन यादव का शुरुआती जीवन काफी गरीबी में बीता। उनके पिता पूनम यादव भाई शंकर लाल यादव की मालीपुर स्थित शराब की दुकान पर भजिए की दुकान थी। पारिवारिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण मोहन यादव पिता व चाचा के साथ भजिए भेजते थे और स्कूल भी जाते थे। अभाव की जिंदगी जीते हुए ही उन्होंने और पीएचडी और एमबीएतक की शिक्षा ग्रहण की। यादव के पड़ोसियों का कहना है कि वे काफी सहज और सरल हैं। मंत्री बनने के बाद भी घर पर आने पर सभी से सामान्य रूप से मिलकर दुआ सलाम करते हैं और महाकाल के अनन्य भक्त हैं। पिता (102 वर्ष) पूनमचंद यादव के अनुसार मोहन मुख्यमंत्री बन गए हैं, यह तो अच्छी खबर है। बहुत अच्छा लग रहा है। उसने बहुत मेहनत की है। मेरा आशीर्वाद है।

टिकट वापस करने से बढ़ा था कद

डॉ मोहन यादव को संगठन में विभिन्न पदों पर रखने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 2008 में बड़नगर विधानसभा से टिकट दिया था, लेकिन यहां पर शांतिलाल द्वारा विरोध करने के बाद संगठन के कहने पर उन्होंने टिकट लौटा दिया। उनका यही बड़प्पन उन्हें आगे जाने में मील का पत्थर साबित हुआ। भाजपा ने 2013 में उज्जैन दक्षिण से टिकट दिया, जीतने के बाद 2018 में फिर इसी क्षेत्र से विधायक बने और फिर 2020 में भाजपा की सरकार बनने पर उच्च शिक्षा मंत्री बने 2023 में तीसरी बार इसी क्षेत्र से विधायक बने और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचे।

डॉक्टर बेटे के लिए बनाया अस्पताल

डॉक्टर मोहन यादव परिवार में पत्नी सीमा, पुत्र डाॅ अभिमन्यु, वैभव और पुत्री डाॅ आकांक्षा हैं। हाल ही में एसके कृष्ण नाम से तीन बत्ती चौराहे पर पुत्र-पुत्री के लिए इन्होंने बड़ा हॉस्पिटल बनवाया है। परिवार में उनके पिता पूनम चंद यादव, बड़े भाई नंदलाल यादव, नारायण यादव, उज्जैन नगर निगम अध्यक्ष बहन कलावती यादव, चाचा शंकर लाल यादव, चचेरे भाई गोविंद और नितेश यादव भी साथ रहते है।