Rafique Khan
मध्य प्रदेश की राजनीति में दो दशक तक क्षितिज पर रहे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दर्द छलकने से रुक नहीं पा रहा है। राजधानी भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि राजनीति ऐसे ही रंग बदलती है। जब तक सीएम रहा तो चरण कमल थे और अब होर्डिंग से फोटो तक ऐसे गायब हो रही है, जैसे गधे के सिर से सींग। हालांकि राजनीति से हटकर भी बहुत कुछ देखने समझने को मिल रहा है। बातचीत के दौरान उन्होंने लाडली बहनों को लखपति बनाने का संकल्प दोहराया और कहा कि इस मामले में मैं कोई कसर नहीं छोडूंगा। भीड़ से घिरे रहने के दौरान कुछ डीजे और बैंड वालों ने आकर उन्हें अपनी पीड़ा से अवगत कराया तो शिवराज सिंह चौहान ने बड़ी बुलंद आवाज में कहा कि बजाओ... बजाओ ढोल बजाओ, बैंड बजाओ, ताशे बजाओ... जो बजाना है, बजाओ! मैं देखता हूं कौन रोकेगा।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भाजपा के बैनर-पोस्टरों से फोटो गायब होने पर दर्द छलकता नजर आने लगा है। शिवराज ने कहा है कि राजनीति में कई लोग ऐसे होते हैं जो रंग देखते हैं। मुख्यमंत्री हैं तो भाई साहब आपके चरण तो कमल के समान हैं। यानी चरण कमल हो जाते हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नीलबड़ इलाके में स्थित ब्रह्माकुमारी सुख शांति भवन के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी पहुंचे थे। यहां उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा कि जिंदगी में जब हम दूसरे को लिए काम करने का लक्ष्य तय कर लें तो जिंदगी आनंद से भर जाती है। मुझे अभी भी एक मिनट के लिए फुर्सत नहीं है। लगातार काम में लगा हूं। शिवराज का ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
अच्छे लोगों की तारीफ की
अपने संबोधन में शिवराज सिंह चौहान ने ये भी कहा कि 'अच्छा हुआ थोड़ा राजनीति से हटकर काम करने का मौका मिल रहा है। राजनीति में भी बहुत अच्छे कार्यकर्ता, समर्पित कार्यकर्ता, सेवा करने वाले लोग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे नेता हैं जो देश के लिए जीते हैं। आपको याद दिलाते चलें कि कुछ दिन पहले ही अपने एक अन्य संबोधन के दौरान शिवराज ने ये कहते हुए चौंका दिया था कि 'कई बार राजतिलक होते-होते वनवास हो जाता है। शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद लगातार मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं। उनका जगह-जगह भव्य स्वागत भी हो रहा है और इस दौरान वे अपनी पीड़ा का जिक्र किए बिना भी रुक नहीं पा रहे हैं।