Ex Minister MP : पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन पर चलेगा MP-MLA कोर्ट में मुकदमा, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए दिया झटका - khabarupdateindia

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Ex Minister MP : पूर्व मंत्री गौरी शंकर बिसेन पर चलेगा MP-MLA कोर्ट में मुकदमा, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए दिया झटका


रफीक खान
मध्य प्रदेश सरकार में सहकारिता मंत्री रहते हुए गौरीशंकर बिसेन द्वारा किए गए कृत्य पर अब MP-MLA एमपी एमएलए कोर्ट में मुकदमा चलेगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन को हाई कोर्ट से झटका लगा है। उनके द्वारा दायर की गई याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। एक वर्ग विशेष के व्यक्ति पर जाति सूचक टिप्पणी तथा चोर कहने पर पन्ना जिला न्यायालय ने उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए थे। इसके खिलाफ गौरी शंकर ने हाई कोर्ट की शरण ली थी लेकिन हाईकोर्ट ने जिला न्यायालय के आदेश को उचित ठहराते हुए कहा कि इस तरह की हरकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रकरण में मानहानि के पर्याप्त तथ्य मौजूद है।

जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि पन्ना जिले के केंद्रीय जिला सहकारिता समिति के तत्कालीन अध्यक्ष संजय नगाइच ने साल 2015 में प्रदेश सरकार के तत्कालीन सहकारिता मंत्री गौरीशंकर बिसेन सहित 5 व्यक्तियों के खिलाफ मानहानि का परिवाद सीजेएफ पन्ना के समक्ष दायर किया था। जिसमें कहा गया था कि दो सार्वजनिक बैठक में मंत्री गौरीशंकर बिसेन तथा बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने उन्हें ‘ब्राह्मण चोर है’ कहकर संबोधित किया। इसके अलावा उनके चरित्र के संबंध में भी टिप्पणी की थी। परिवाद की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने गवाहों के बयान के आधार पर मानहानि का मामला दर्ज करने के निर्देश दिये थे। जिसके खिलाफ गौरी शंकर बिसेन ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने याचिका की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए 5 दिसंबर 2019 को हाई कोर्ट स्थगन आदेश जारी किया था। याचिका की सुनवाई के दौरान उनकी तरफ से तर्क दिया गया कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण अनावेदक ने परिवाद दायर किया है। अनावेदक को भ्रष्टाचार के आरोप में 7 साल के लिए पद से हटा दिया गया था। अनावेदक की तरफ से तर्क दिया गया कि पद से हटाये जाने को चुनौती देते हुए उनकी तरफ से हाईकोर्ट में याचिका व अपील दायर की गयी थी। अपील की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया था। जिसके खिलाफ सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने एसएलपी को एक लाख की कास्ट के साथ खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने प्रकरण को गंभीर मानते हुए कहा कि किसी भी जनप्रतिनिधि का सार्वजनिक अपमान करने वाली टिप्पणी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।