बमों के खोल तो स्क्रैप हो सकते हैं पर बारूद कैसे? शमीम कबाड़ी की गोदाम में हुए धमाके के बाद जांच के हर पहलू पर सवाल - khabarupdateindia

खबरे

बमों के खोल तो स्क्रैप हो सकते हैं पर बारूद कैसे? शमीम कबाड़ी की गोदाम में हुए धमाके के बाद जांच के हर पहलू पर सवाल


रफीक खान
मध्य प्रदेश के जबलपुर में खजरी खिरिया बाईपास स्थित रजा मेटल इंडस्ट्रीज शमीम कबाड़ी के गोदाम में हुए धमाके के बाद न सिर्फ मध्य प्रदेश पुलिस बल्कि सेना तक की खुफिया व जांच एजेंसियां पड़ताल में जुटी हुई है। अलग-अलग जांच एजेंसियां अपने दृष्टिकोण से साक्ष्य को जुटा रही हैं, मंथन भी हो रहा है लेकिन अब तक जांच से संबंधित जितनी जानकारियां बाहर आई है उन सभी पर सवालिया निशान लगा हुआ है। बहुत सामान्य सी बात आम लोगों के मन में कौतूहल का विषय बनी हुई है कि बमों के खोखे तो स्क्रैप हो सकते हैं लेकिन बारूद स्क्रैप की श्रेणी में कैसे आ सकता है? सेना के उपयोग में आने वाले बमों का स्क्रैप मैटेरियल वैसे भी संवेदनशील होता है और फिर अगर वह बारूद सहित स्क्रैप की शक्ल में कबाड़ खानों तक पहुंच रहा है तो आखिर कैसे? हालांकि आम लोगों को इस सिलसिले में विधि संगत जानकारी नहीं है कि क्या वास्तव में बारूद भी स्क्रैप के रूप में नीलाम होता है? अगर बमों के खोल के साथ कबाड़खाने तक पहुंचा बारूद स्क्रैप नहीं है तो निश्चित तौर पर यह नेटवर्क न सिर्फ बहुत तगड़ा है बल्कि बहुत बड़ा भी है।

गौरतलब है कि हाईवे बायपास से लगे हिस्ट्रीशीटर गुंडे शमीम कबाड़ी के कारखाने में 25 अप्रेल 2024 को विस्फोट हुआ था। विस्फोट इतना खतरनाक था कि लगभग 10 से 15 हजार वर्गफीट में फैला पूरा कबाडख़ाना ढ़ह गया। वहीं विस्फोट की गूंज पांच से छह किलोमीटर तक के इलाके में सुनाई दी थी। आशंका है कि स्क्रेप में जिंदा बम के फटने से घटना हुई। घटना में दो मजदूर गौर निवासी भोलाराम और आनंद नगर निवासी खलील लापता हो गए थे।डीएनए रिपोर्ट में विस्फोट में खलील की मौत की पुष्टी हुई। वहीं भोला की गुमशुदगी दर्ज की गई है। मामले में अधारताल पुलिस ने शमीम उसके बेटे फहीम और पार्टनर सुल्तान पर विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया। शमीम फरार है और उस पर 15 हजार का इनाम घोषित किया गया। पुलिस का दावा है कि शमीम को गिरफ्तार करने के लिए अनेक संभावित ठिकानों पर दविश दी गई लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं चल पाया है। शमीम कबाड़ी के कबाड़खाने में विस्फोट के बाद जांच एजेंसी को चौकाने वाले सुराग मिल रहे हैं। कबाड़खाने में सालों से बम के खोल पहुंच कर जमा किए गए थे। सवाल ये है कि इतनी बड़ी तादात में बारूद भरे बम के खोल आते रहे लेकिन कभी कबाड़ की जांच नहीं हुई। सड़क पर भी पुलिस की एजेंसी ने वाहनों की जांच नहीं कर पाई। कबाड़खाने में बुधवार तथा आज गुरुवार को भी सेन्ट्रल ऑर्डिनेंस डिपो COD की टीम पहुंची। वहां से बड़ी संख्या में 30 एमएम और 125 एमएम के बमों को टीम अपने साथ बम निरोधक वाहन से ले गई। इन बमों को खमरिया एलपीआर में डिस्पोजल करने की कार्रवाई की जाएगी। शमीम के कबाड़खाने से लगातार जब्त हो रहे बमों के बाद यह बात स्पष्ट हो गई है कि वहां सालों से बम की आड़ में बारूद इकट्ठा हो रहा था। यहां बता दे कि पुलिस ने इस कबाड़खाने में कई दफा विस्फोट से पहले अवैध तरीके से वाहनों की काटने की जांच करने पुलिस घुसी। एक बार भी खोलों और बमों को जब्त नहीं किया गया।