रफीक खान
कोर्ट मेनेजर को उचित सेवा सुविधा के संबंध में दायर याचिका के तारताम्य में सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के सभी राज्यों में पदस्थ मुख्य सचिवों तथा 25 हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया कोर्ट मेनेजर संगठन के आवेदन पर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। SC notice to Chief Secretaries of all states of India and Registrar Generals of 25 High Courts
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई एवं के.वी. विश्वनाथन की युगल पीठ ने ऑल इंडिया कोर्ट मैनेजर एसोसिएशन की याचिका पर सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी एवं देश भर के सभी 25 हाई कोर्टो के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी कर देश भर में न्यायालयो में नियुक्त कोर्ट मैनेजर को सेवाओं में हो रही परेशानियों के समाधान को लेकर चार सप्ताह में जवाब माँगा है। ऑल इंडिया कोर्ट मैनेजर एसोसिएशन द्वारा वर्ष 1989 से लंबित ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन के केस में एक इंटरवेनेर आवेदन दाखिल कर यह कहा है की वर्ष 2018 में सुको की तीन जज सदस्यीय पीठ के निर्देशों पर देश भर में हाई कोर्ट एवं जिला न्यायलायो में कोर्ट मैनेजर नियुक्त हुए थे, जिनकी सेवाओं हेतु केंद्र शासन द्वारा लगभग 400 करोड़ का बजट भी स्वीकृत किय गया था। परन्तु उन पर लागू सेवा शर्ते एवं जो उनको सुविधाएं दी जा रही है, वह काफी निम्न दर्जे की है एवं उनकी योग्यता, पद के अनुरूप नहीं है। कोर्ट मैनेजर एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता सुको उपस्थित हुए एवं कोर्ट ने एमिकस क्यूरी (कोर्ट मित्र) वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ भटनागर से भी इस सम्बन्ध में सुझाव देने हेतु कहा है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय एवं जिला न्यायालयों में जजों पर प्रशासनिक कार्यो के बढ़ते बोझ को देख कर निर्देशित किया था की चुकी जजों के ऊपर प्रसाशनिक कार्यो के चलते न्यायालीन कार्य हेतु उपयुक्त समय नहीं निकाल पाते है, तो उच्च शिक्षित एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों को कोर्ट मैनेजर की रूप में नियुक्त किया जाये। देश भर में न्यायालय में नियुक्ति प्रक्रिया प्रारम्भ हुई एवं कोर्ट मैनेजर राज्य एवं जिला स्तर पर नियुक्त हुए। इनकी मुख्यतः ज़िम्मेदारी न्यायमूर्तियों को प्रशासनिक कार्य करने में सहायता देना है, जिस हेतु इनकी नियुक्ति सुको के निर्देशों पर केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा बजट भी स्वीकार किया गया। परन्तु देश भर में यूनिफार्म सेवा शर्ते एवं सुविधाएं उनको प्राप्त नहीं हुई। बहुत से राज्यों में उन्हें वर्ग - 3 के कर्मचारियों का दर्जा दिया जाता है; तनख़्वाह वर्ग - 1 के बराबर नहीं दी जाती है; महंगाई, रिहायशी, दैनिक भत्ता आदि नहीं दिया जा सकता है; 5 वर्ष से ऊपर सेवाएं देने के पश्चात भी स्थाईकरण न होना एवं ऐसी अन्य कई समस्याओं का अलग अलग राज्यों में कोर्ट मैनेजरो को सामना करना पढ़ रहा था। देश भर में सामान्य सेवा शर्तें एवं वर्ग-1 के समतुल्य सुविधाओं को लेकर ऑल इंडिया कोर्ट मैनेजर एसोसिएशन द्वारा सुको में केंद्रीय कानून मंत्रालय, देश के सभी राज्य एवं सभी हाई कोर्ट को निर्देश देने हेतु दाखिल किया, जिस पर आज सुनवाई हुई। सुको ने अधिवक्ताओं के तर्क सुनने के पश्चात कोर्ट मैनेजरो को होने वाली कठिनाइयों को देखकर सभी को नोटिस जारी किये एवं 09.01.2025 तक जवाब दाखिल करने हेतु कहा है। प्रकरण की अगली सुनवाई 16.01.2025 को नियत की गयी है, जिसको न्यायालय ने स्पष्ट किया है की अंतिम सुनवाई होगी जिस दिन आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे।