जबलपुर की रांझी मढ़ई में मंदिर-मस्जिद विवाद पर प्रशासन ने की स्थिति स्पष्ट, 14 को महाआंदोलन का हो रहा प्रचार - khabarupdateindia

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जबलपुर की रांझी मढ़ई में मंदिर-मस्जिद विवाद पर प्रशासन ने की स्थिति स्पष्ट, 14 को महाआंदोलन का हो रहा प्रचार


रफीक खान
मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित रांझी मढ़ई में मंदिर मस्जिद के लंबे समय से चले आ रहे विवाद और इसी संदर्भ में 14 जुलाई को महाआंदोलन के ऐलान व प्रचार प्रसार के मद्देनजर प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मंदिर के स्थान पर मस्जिद निर्माण किया जाना जैसा कोई विवाद या तथ्य नहीं है। सिर्फ कुछ अतिरिक्त निर्माण का प्रकरण कलेक्टर के पास विचाराधीन है। कलेक्टर के X हैंडल पर इस पूरे विवरण को दिया गया है। The administration clarified its position on the temple-mosque dispute in Ranjhi Madhai of Jabalpur, a mega movement is being promoted on the 14th

एसडीएम रांझी आर एस मरावी ने जानकारी दी है कि कतिपय व्यक्तियों द्वारा तहसील रोड, ग्राम मड़ई स्थित मस्जिद को हटाने के लिए 14 जुलाई को महाआंदोलन किए जाने का प्रचार-प्रसार विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर किया जा रहा है। साथ ही कहा है कि जबलपुर तहसील रांझी स्थित ग्राम मढ़ई में स्थित मस्जिद पर मस्जिद कमेटी ‌द्वारा प्रथम तल के किए जा रहे अतिरिक्त निमीण कार्य के संबंध में बजरंग दल एवं विश्व हिंदू परिषद द्वारा शिकायत की गई थी कि मस्जिद का निर्माण गायत्री बाल मंदिर संस्था की भूमि पर किया गया है, अतः विधिवत सीमांकन कर मस्जिद कर निर्माण हटाया जाए। शिकायत के संदर्भ में प्रकरण में मौका एवं राजस्व अभिलेखों की जांच तथा विस्तृत सीमांकन के आधार पर वस्तुस्तिथि के संबंध में उन्होंने कहा कि उक्त मस्जिद का निर्माण वर्ष 1985 में किया गया है। इस प्रकार उक्त मस्जिद मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित करने संबंधी किसी ऐतिहासिक विवाद से संबंधित नहीं है।

यहां से हुई विवाद की शुरुआत

विवाद की शुरुआत मस्जिद में प्रथम तल पर अतिरिक्त निर्माण कार्य प्रारंभ किए जाने की वजह से हुई। बंदोबस्त वर्ष 1990-91 के पूर्व मूल खसरा नंबर 326 जिसके कुल 8 बटांक थे। 2 बटांक 326/6 रकवा 0.008 है. एवं 326/7 रकवा 0.014 है. सैफुद्दीन के नाम दर्ज था। बंदोबस्त के समय वर्ष 1990 में उक्त भूमि पर मौके पर मस्जिद निर्मित थी, लेकिन तत्समय नक्शे में बटांकन नहीं हुआ था। एक बटीक ख.नं. 326/4 रकवा 0.022 है. भूमि गायत्री बाल मंदिर वि‌द्यालय के नाम दर्ज था। बंदोबस्त के दौरान उक्त मून खसरा नंबर 326 के 8 बटांकों के नवीन नंबर 163 से 170 तक बने। किंतु उक्त सर्वे नंबर मौके पर कडजे के हिसाब से नहीं बनाए गए। उक्त नवीन सर्वे नंबरों के रकबे भी त्रुटि पूर्ण दर्ज किए गए। गायत्री बाल मंदिर संस्था का नवीन नंबर 169 बना। जो बंदोबस्त के पूर्व बटांक नंबर 326/4 था। तत्समय मौके पर स्थिति स्पष्ट नहीं थी और न ही वर्तमान में मौके पर उक्त संस्था का कोई कब्जा है। बंदोबस्त के दौरान बनाये गए नक्यों में नवीन नंबर 169 को जिस स्थान पर त्रुटिपूर्ण दर्शित किया गया, वहां पर मौके में पूर्व में ही मस्जिद बनी थी। मौके पर पुराने खसरा नंबर 326 के किसी भी बटांक नै उक्त संस्था कर कब्जा होना नहीं पाया गया है। मौके पर कभी मंदिर निर्मित होने या मंदिर की भूमि पर मस्जिद निर्मित होने जैसा कोई प्रमाण नहीं पाया गया है। जांच में यह सिद्ध पाया गया है कि मस्जिद का निर्माण बंदोबस्त के पूर्व उनके कब्जे और मालिकी हक्क की भूमि पर ही हुआ है लेकिन बंदोबस्त में नवीन सर्वे नंबर और नक्शा करने के अनुसार निर्मित नहीं किए गए, जिसकी वजह से वर्तमान में विवाद की स्तिथि निर्मित हुई है । बंदोबस्त की उक्त नक्शा त्रुटि सुधार के लिए न्यायालय कलेक्टर जबलपुर में प्रकरण प्रस्तुत किया गया है। नक्शा सुधार के लिए कलेक्टर न्यायालय में हितबद्ध/प्रभावित पक्षकारों की सुनवाई कारवाई प्रचलित है। प्रकरण में गायत्री बाल मंदिर संस्था, जिनके नाम पर नवीन नंबर 169 रकवा 0.02 है. (2152 वर्गफुट) दर्ज है, के लिए अभी तक कोई भी दावाकर्ता पक्षकार उपस्थित नहीं हुए हैं।

मस्जिद हटाने का प्रश्न ही नहीं उठता


एसडीएम श्री मरावी ने कहा कि प्रकरण में बन्दोबस्त की त्रुटि का सुधार कर वर्तमान कब्जे के अनुसार नक्शा और बटांक नंबर निर्मित करने की कार्यवाही की जाएगी। मस्जिद का निर्माण बंदोबस्त के पूर्व उनके कब्जे और मालिकी हक की भूमि पर ही हुआ है। अतः उसे हटाने की प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। मस्जिद के संबद्ध में आंदोलनकारियों को वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया गया है। आंदोलनकारियों को विधि-विरुद्ध कार्यवाही कर कानून व्यवस्था की स्तिथि नहीं बिगाड़ने के लिए कई बार समझाइश दी जा चुकी है।