जनजाति प्रतिभाओं के उत्थान की अवधारणा भ्रष्टाचार के दलदल में - khabarupdateindia

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जनजाति प्रतिभाओं के उत्थान की अवधारणा भ्रष्टाचार के दलदल में


Highlights :
  • जबलपुर में दूषित भोजन से बीमार हुए बच्चों की घटना ने खोल कर रख दी कलई
  • लाखों रुपए का वेतन पाने वाले जिम्मेदार करोड़ों की कर रहे काली कमाई
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रफीक खान

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जबलपुर। शासकीय आदर्श एकलव्य स्कूल इस समय सुर्खियों में बने हुए हैं। दरअसल यहां की बदहाली और भ्रष्टाचार के दलदल को दूषित भोजन से बीमार हुए बच्चों की एक घटना ने उजागर कर दिया है। इस घटना के बाद जिम्मेदार संभागीय उपायुक्त समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारी अपनी काली कमाई पर प्रहार की आशंका से इस कदर बौखला गए हैं कि उन्हें खुद ही नहीं पता कि वह क्या बोल रहे हैं? बहरहाल केंद्र सरकार की इस बहुउद्देशीय योजना को जबलपुर में तो कम से कम पूरी तरह पलीता लग रहा है। यहां संचालित होने वाले एकलव्य स्कूलों की जांच बजाय जिला प्रशासन के, सीबीआई स्तर की एजेंसी से करवाना ही उचित होगा।


जबलपुर संभाग में करीब डेढ़ दर्जन एकलव्य स्कूल है और प्रत्येक स्कूल के हॉस्टल के लिए 5 करोड रुपए का आवंटन प्राप्त होता है। जानकारी के अनुसार स्कूल के संचालन एवं प्रबंधन के लिए प्रति विद्यार्थी के हिसाब से प्रतिवर्ष 1लाख 9 हजार रुपए खर्च किए जाते हैं। वित्तीय वर्ष 2023=24 के लिए 5,943 करोड रुपए प्रदत्त किए गए हैं। एक एकलव्य स्कूल में 480 स्टूडेंट की क्षमता होती है।

सोने की खान

यहां पदस्थ हर स्तर का जिम्मेदार अधिकारी अपने आप को एक तरह से सोने की खान में बैठा हुआ मानता है। वजह यह है कि जहां अनुसूचित जनजाति वर्ग के बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा, बेहतर से बेहतर भोजन देने की अवधारणा व संकल्प के साथ मिशन को शुरू किया गया है, वहां पतली दुर्गंध मारती दूषित खाद्य सामग्री परोसी जा रही है। रामपुर के स्कूल की घटना अगर बड़ी नहीं होती तो आए दिन होने वाली अन्य घटनाओं की तरह वह भी दब जाती। सूत्रों का कहना है कि दूषित भोजन से बीमारी की घटनाएं आए दिन स्कूलों में सामने आती रहती है लेकिन वही के वहीं उन्हें दबाने के भरपूर इंतजाम कर लिए जाते हैं।

ऐसी झुंझलाहट डीसी की

इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण और शर्मनाक पक्ष यह है कि संभागीय कार्यालय में बैठे मुखिया जगदीश प्रसाद सरवटे से जब इस संबंध में बातचीत की गई तो उन्होंने जिस अंदाज में जवाब दिया उसे देखकर कोई भी यह विश्वास नहीं कर पाएगा कि वह संभाग स्तर के एक अधिकारी से बात कर रहा है। बौखलाहट और झुंझलाहट में जिस तरह से उन्होंने जानकारी हासिल करने संबंधी सवालों के जवाब दिए, वह एक सामान्य से कर्मचारियों से भी उम्मीद नहीं की जा सकती है।

कर्मचारी नेता के गंभीर आरोप

मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के संरक्षक योगेंद्र दुबे ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि जनजातीय कार्य विभाग में संभागीय कार्यालय में पदस्थ संभागीय उपायुक्त जे पी सरवटे द्वारा छात्रावासों के तमाम अधीक्षकों से कहा जाता है की अगर आपके कार्य में गुणवत्ता नहीं है तो आपको गुड़ मिलाना होगा। अर्थात राशि की मांग की जाती है एवं अधीक्षकों से कहा जाता है कि हमको लाल कर दो अर्थात पैसे दिए जाएं, यह उनका सार्वजनिक तकिया कलाम है, और वह अपने अधीक्षकों से इसी तरह रकम की मांग करते हैं। संघ ने बताया की लगभग सभी अधीक्षकों से वह इसी प्रकार की बातें करते हैं और भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे हुए हैं। कर्मचारी संगठन ने न सिर्फ इस अधिकारी को निलंबित करने की मांग की है बल्कि कहा है कि केंद्र सरकार की इस बहुउद्देशीय योजना को लाभकारी बनाने के मद्देनजर हर हाल में सीबीआई स्तर की जांच कराई जाना चाहिए।

वित्त मंत्री की घोषणा

आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने आने वाले सालों में सात हजार से अधिक एकलव्य स्कूल खोलने की बात कही थी। इन स्कूलों के जरिए जहां छात्रों को बेहतर पढ़ाई का अवसर तो मिलना ही चाहिए, साथ ही करीब 8 हजार शिक्षकों और सपोर्ट स्टाफ को रोजगार भी मिलना तय होगा।

क्या है एकलव्य स्कूल

क्या आप जानते हैं कि एकलव्य स्कूल क्या हैं और इनकी इंपॉर्टेंस क्या है. जानते हैं एकलव्य स्कूल किन छात्रों के लिए खासतौर पर बनाए जाते हैं। एकलव्य स्कूल जिन्हें एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल्स (EMRS) भी कहते हैं की स्थापना साल 1997-98 में की गई थी। ये स्कूल खासतौर पर शेड्यूल ट्राइब छात्रों के लिए बनाए जाते हैं ताकि उन्हें पढ़ाई के बेहतर अवसर प्रदान किए जा सकें. ये स्कूल केवल एजुकेशन पर नहीं बल्कि ओवर-ऑल डेवलेपमेंट पर फोकस करते हैं। ये स्कूल राज्य सरकारों के अंडर में आते है जिन्हें इनकी स्थापना के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा फंड दिया जाता है।

एक स्कूल की क्षमता 480

एकलव्य स्कूल की क्षमता 480 स्टूडेंट्स की होती है और यहां क्लास 6 से लेकर 8 तक के छात्र पढ़ाई कर सकते हैं। यानी ये स्कूल क्लास 6 से 8 तक है। इन स्कूलों की संख्या बढ़ाने के लिए ये तय किया गया था कि साल 2022 खत्म होने तक हर वो ब्लॉक, जिसमें 50 प्रतिशत एसटी पॉपुलेशन है और जहां कम से कम 20 प्रतिशत ट्राइबल आबादी रहती है, वहां एक ईएमआरएस यानी एकलव्य स्कूल खोल दिया जाए। आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक सरकार द्वारा कुल 689 एकलव्य स्कूल सेंग्शन किए गए हैं। इनमें से 401 स्कूल फंक्शनल हैं। टोटल स्टूडेंट्स की बात करें तो इनमें 113275 स्टूडेंट्स इनरोल हैं इनमें 56106 मेल और 57168 फीमेल शामिल हैं।

जबलपुर संभाग पर एक नजर



सिवनी 02

मंडला 05

जबलपुर 03

डिंडौरी 04

छिंदवाड़ा 04


डीसी जगदीश सरवटे से सीधी बात

सवाल रामपुर की घटना के बारे में आप क्या कहेंगे?

डीसी का जवाब मैं इस घटना के संबंध में कुछ भी नहीं कहना चाहूंगा।

सवाल क्यों क्या आप जिम्मेदार अधिकारी नहीं है?

डीसी का जवाब जी नहीं मैं जिम्मेदार अधिकारी नहीं हूं इसके लिए जिला प्रशासन से बात करें।

सवाल आप संभाग के प्रमुख अधिकारी हैं, फिर आप ऐसा जवाब क्यों दे रहे हैं?

डीसी का जवाब मैं कुछ नहीं हूं, मेरी हैसियत कुछ नहीं है, मैं सिर्फ मिडिलमैन हूं। नीचे की बात ऊपर और ऊपर की बात नीचे पहुंचता हूं।

सवाल आपने कोई जांच के आदेश दिए हैं या आप किसी जांच कराने के पक्ष में है?

डीसी का जवाब यह सब मेरा काम नहीं है। जांच प्रशासन कर रहा है। इस संबंध में कोई बात नहीं करना चाहता ना ही मैं इन सब बातों के लिए अधिकृत हूं।

सवाल क्या आप एकलव्य स्कूलों की अवधारणा से वाकिफ है और हमें जानकारी दे पाएंगे?

नहीं हम नहीं जानते एकलव्य स्कूल की अवधारणा क्या है डीसी का जवाब आपको यह सब जानकारी लेना है तो आप भारत सरकार के मंत्रालय से पूछे, उनके मंत्रियों से पूछे.....आदि आदि। हम कुछ नहीं जानते.....

फिर फोन कट हो गया

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