Rafique Khan
उत्तराखंड के उत्तरकाशी क्षेत्र में निर्मित की जा रही सिल्क्यारा टनल धंसने के 105 घंटे बाद भी वहां फंसे 40 मजदूरों को निकाला नहीं जा सका है। 4 दिन से संबंधित एजेंसियां टनल में रास्ता बनाकर मजदूरों को निकालने की कोशिश जरूर कर रही है लेकिन अब तक की तमाम कोशिशें को कामयाबी नहीं मिल सकी है। गुरुवार को अमेरिकन अगर्स ड्रिलिंग मशीन से पुनः कोशिश शुरू की गई है। ऐसा माना जा रहा है कि इसके जरिए टनल के बंद हुए रास्ते को बनाने में सफलता हासिल हो सकती है। यह हेवी मशीन सेना के हरक्यूलिस विमान से यहां लाई गई है। उम्मीद है कि अगले 12 घंटे में कुछ खुशखबरी सामने आ सके।
जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि एनएचआईडीसीएल के डायरेक्टर अंशू मनीष खलखो ने बताया, 25 टन की हैवी ऑगर मशीन प्रति घंटे पांच से छह मीटर तक ड्रिल करती है। अगर, ये काम करती है तो अगले 10 से 15 घंटे में इन्हें रेस्क्यू किया जा सकता है। हालांकि, यह अंदर की परिस्थितियों पर भी डिपेंड करेगा। हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी। मजदूर अंदर फंस गए। मलबा 70 मीटर तक फैला गया। ये मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। केंद्रीय मंत्री वीके सिंह गुरुवार को टनल के अंदर जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने कहा- मजदूर टनल के अंदर 2 किलोमीटर की खाली जगह में फंसे हुए हैं। इस गैप में रोशनी है और हम खाना-पानी भेज रहे हैं। एक नई मशीन काम कर रही है, जिसकी पॉवर और स्पीड पुरानी मशीन से बेहतर है।
नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL), NDRF, SDRF, ITBP, BRO और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे रेस्क्यू में जुटी है। इसके अलावा थाईलैंड, नार्वे, फिनलैंड समेत कई देशों के एक्सपर्ट से ऑनलाइन सलाह ली जा रही है।