भगवान सिंह ठाकुर अमरजीत सिंह भाटिया |
मध्य प्रदेश के नगर निगमों की हालत खस्ता स्थिति में चल रही है। यहां काम करने वाले ठेकेदार आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि लंबे समय से लाखों-करोड़ों रुपए के बिलों का भुगतान न होने के कारण ठेकेदारों के पास मरने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। विकास कार्य भी लगातार ठप्प नजर आ रहे हैं। जबलपुर तथा ग्वालियर में ठेकेदार सुसाइड कर चुके हैं तो वहीं ग्वालियर महापौर शोभा सिकरवार ने आर्थिक तंगी को देखते हुए सरकारी वाहन लौटा दिया है।
बताया जाता है कि 3 दिसंबर 2023 को इंदौर नगर निगम के ठेकेदार अमरजीत सिंह भाटिया उर्फ पप्पू (65) ने एसिड पीकर जान दे दी। ठीक 39वें दिन 10 जनवरी 2024 को जबलपुर नगर निगम में ठेकेदार भगवान सिंह ठाकुर (55) ने खुद को गोली मार ली। दोनों सुसाइड की वजह नगर निगम की कंगाली बनी। अमरजीत के 14 करोड़ रुपए का भुगतान अटका था। वहीं, भगवान सिंह के 70 लाख रुपए फंसे हैं। बेटे के इलाज और अगले महीने बिटिया की शादी के तनाव में उन्होंने जान दे दी। करोड़ों का भुगतान अटकने से ठेकेदार ब्याज पर पैसे लेने को मजबूर हैं। सिर्फ चहेतों और कमीशन देने वालों के बिल पास हो रहे हैं।
भगवान की बेटी की 18 फरवरी को शादी तय है
जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि जबलपुर के बंधैया मोहल्ला निवासी भगवान सिंह ठाकुर (55) जबलपुर नगर निगम में ठेकेदार थे। नगर निगम ने 8 महीने पहले पीपीपी मोड पर आईएसबीटी (अंतरराज्यीय बस टर्मिनस) की सफाई का ठेका भगवान सिंह को दिया था। आईएसबीटी में होर्डिंग, शौचालय, रैन बसेरा और सर्विस सेंटर से कमाई के एवज में सफाई का ठेका दिया गया था। इसके अतिरिक्त ठेकेदार को हर महीने 31 हजार रुपए नगर निगम को देना थे। आठ महीने के हिसाब से भगवान सिंह को 2.48 लाख रुपए का भुगतान करना था, जो नहीं किया गया है। भगवान सिंह ने मां नर्मदा सफाई सेवा समिति के संचालक धीरेंद्र दीवान के साथ मिलकर जोन क्रमांक 10, 14 व 15 के वार्डों में सफाई का काम भी लिया था। ये ठेका समिति के नाम से था और मई 2023 से काम भगवान सिंह कर रहे थे। समिति को इसके एवज में उन्हें 70 लाख रु. का भुगतान करना था जो नहीं किया था। भगवान सिंह की बेटी की 18 फरवरी को शादी की तारीख तय है। बेटा शिवा भी बीमार रहता है। उसके इलाज में भी लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं।
14 करोड़ रुपए लेने थे नगर निगम से पप्पू को
बताया जाता है कि 3 दिसंबर को इन्हीं हालात में इंदौर के तुकोगंज निवासी अमरजीत सिंह पप्पू भाटिया (65) ने एसिड पीकर सुसाइड कर लिया था। भाटिया नगर निगम के सभी कामों को समय सीमा में पूरा करते थे। बावजूद उनका भुगतान अटका हुआ था। वे मार्केट से ब्याज पर रुपए लेकर फंस चुके थे। इंदौर नगर निगम से उन्हें 14 करोड़ रुपए लेने थे। नगर निगम की कार्यप्रणाली के जानकार सूत्रों का कहना है कि पिछले साल इंदौर में हुए दो बड़े आयोजन (प्रवासी भारतीय सम्मेलन और इन्वेस्टर्स समिट) के लिए पेवर ब्लॉक, न्यू वॉल पेंटिंग, पाइप, लोहे की जाली और चैम्बर्स के सौंदर्यीकरण का ठेका एक निजी कंपनी को मिला था। सूत्र बताते हैं कि नगर निगम के एक अधिकारी ने प्रभाव का इस्तेमाल कर अमरजीत को पेटी कांट्रैक्ट दिलाया था। ये पूरा काम 5 करोड़ का था। इस अधिकारी ने काम दिलाने के एवज में अमरजीत से नई कार गिफ्ट में ली थी। कार के लोन की किस्त अमरजीत को भरना पड़ रही थी। काम होने के बाद इस अधिकारी ने अमरजीत का पेमेंट अटका दिया।
विजयवर्गीय के निर्देश पर चुंगी क्षतिपूर्ति राशि जारी
जानकारी के अनुसार इंदौर के बाद जबलपुर में ठेकेदार के सुसाइड के मामले पर हंगामा बढ़ा तो आनन-फानन में नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने प्रदेश के सभी 418 निकायों को चुंगी क्षतिपूर्ति के 226 करोड़ 74 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए।
पार्षदों तक के काम नहीं हो पा रहे
जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि जबलपुर नगर निगम में पार्षदों तक के काम नहीं हो पा रहे हैं। 79 पार्षदों को 60-60 लाख रुपए के काम करवाने का अधिकार है। यह काम भी संभव नहीं हो पा रहे हैं। निगम आयुक्त द्वारा सिर्फ 10-10 लाख तक के कामों को करने का ही आश्वासन दिया जा रहा है। बताया जाता है कि जबलपुर नगर निगम के सफाई, पीडब्ल्यूडी, उद्यान विभाग के 20 से अधिक ठेकेदारों का 130 करोड़ से अधिक का बकाया है। 100 करोड़ से अधिक के विकास कार्य अटके पड़े हैं। 79 पार्षदों का 60-60 लाख रुपए मद के काम भी नहीं हो पा रहे हैं। कमिश्नर ने सिर्फ 10-10 लाख रुपए तक के कामों को ही अभी कराने का आश्वासन दिया है।