स्टेट पुलिस ऑफिसर्स की याचिका: कोर्ट ने कहा, विशेष रिव्यू ऑर्डर क्यों ना किया जाए, राज्य सरकार को भेजा नोटिस, 19 मार्च को होगी सुनवाई - khabarupdateindia

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स्टेट पुलिस ऑफिसर्स की याचिका: कोर्ट ने कहा, विशेष रिव्यू ऑर्डर क्यों ना किया जाए, राज्य सरकार को भेजा नोटिस, 19 मार्च को होगी सुनवाई




Rafique Khan

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित पुलिस अधिकारियों के संगठन एमपी स्टेट पुलिस ऑफिसर्स एसोसिएशन की ओर से दायर की गई एक याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्रीय न्यायिक अधिकरण जबलपुर ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले में 19 मार्च तक जवाब पेश करना है। मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी। कोर्ट ने कहा है कि ऑफिसर्स की समस्याओं और याचिका में प्रस्तुत किए गए तथ्यों के अनुसार विशेष रिव्यू ऑर्डर क्यों नहीं किया जा सकता? न्यायिक अधिकरण ने याचिका को स्वीकार कर लिया है, जिससे ऑफिसर्स में अपनी मांगों को पूरी होने की एक नई उम्मीद जागृत हुई है।

जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश स्टेट पुलिस ऑफिसर एसोसिएशन के सदस्य जितेन्द्र सिंह और पुलिस अधीक्षक साइबर क्राइम इंदौर द्वारा केंद्रीय न्यायिक अधिकरण जबलपुर के समक्ष याचिका प्रस्तुत करते हुए विशेष कैडर रिव्यू की मांग की गई है। जिसकी सुनवाई बुधवार को हुई एवं उसे स्वीकार करते हुए CAT की सिंगल बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कैडर रिव्यू जो कि हर 5 वर्ष में होना चाहिए, उसमें इतनी देरी क्यों की जा रही है और विशेष कैडर रिव्यू का आर्डर क्यों न किया जाये?

IPS के हकदार, पर सिर्फ दो ही प्रमोशन

राज्य सरकार में राज्य लोक सेवा आयोग से भर्ती हुए एसपी रैंक के अधिकारियों को केवल दो ही प्रमोशन मिल पाते हैं और वह ज्यादा से ज्यादा एडिशनल एसपी होकर रिटायर हो जाते हैं. जबकि इन्हें उनके अनुभव के आधार पर आईपीएस में शामिल किया जाता है, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजना पड़ता है. इस याचिका में इस बात का जिक्र किया गया है कि राज्य सरकार केवल क्रमोन्नति दे रही है। जबकि जो लोग आईपीएस होने के हकदार हैं, उन्हें पदोन्नति नहीं मिल रही है।

ज्यादातर ASP से ही हो रहे रिटायर

मध्य प्रदेश में एक दूसरी समस्या आईपीएस के कैडर की है। मध्य प्रदेश में यदि राज्य सरकार सीएसपी को आईपीएस के लिए प्रमोशन दिलवा भी दे तो उन्हें नियुक्ति कहां दी जाए, क्योंकि राज्य सरकार में इतने पद ही नहीं है. कैडर संख्या कम होने से आईपीएस award होने स्थिति क्षीण होती जा रही है और ASP के पद से ही बहुसंख्यक रिटायर हो जाएंगे। जबकि इस मामले में दूसरे राज्य मध्य प्रदेश से कहीं आगे हैं और वहां पर आसानी से पुलिस अधिकारियों को आईपीएस बनाया जा रहा है।

मध्य प्रदेश सरकार का रवैया उदासीन

इस याचिका में यह भी कहा गया है कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले में उदासीन रवैया अपनाया है। राज्य सरकार की ओर से ही आईपीएस के पद बढ़ाने को लेकर कोई रुचि नहीं दिखाई गई है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ऐसे ही एक मामले में कह चुका है कि प्रमोशन अच्छे अधिकारी का अधिकार है। मध्य प्रदेश स्टेट पुलिस एसोसिएशन की ओर से हाई कोर्ट के एडवोकेट पंकज दुबे ने इस मामले को केंद्रीय न्यायिक अभिकरण के सामने पेश किया है। अभिकरण के द्वारा राज्य सरकार से इस मामले में जवाब मांगा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बात की जाएगी। हालांकि राज्य सरकार मध्य प्रदेश के कई बड़े शहरों में कमिश्नर प्रणाली शुरू करने की तैयारी में है। यदि पुलिस की व्यवस्था शुरू हो जाती है तो आईपीएस के लिए नए पदों का सृजन होगा।

याचिका में उठाए गए मुख्य बिंदु

सीएसपी/Addl SP का कोई promotion नहीं होता है केवल क्रमोन्नति होती है‌।

केडर संख्या कम होने से आईपीएस award होने स्थिति क्षीण होती जा रही है और ASP के पद से ही बहुसंख्यक retire हो जाएंगे।

अन्य कई राज्य में अधिकारी समय से IPS बनाये गये हैं ।

मध्य प्रदेश के द्वारा केंद्र सरकार को इस विषय में लिखा जा रहा है पर केंद्र का रवैया उदासीन है।

वर्ष 2008 से देरी से केडर संख्या का निर्धारण किया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है देरी से निर्धारण करना अन्याय है।

पदोनति पर विचारण किया जाना कर्मचारी का अधिकार है।