"अकबर शेर" और "सीता शेरनी" को लेकर हाईकोर्ट की शरण में VHP, कहा- राज्य के वन विभाग ने किया हिंदू धर्म का अपमान - khabarupdateindia

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"अकबर शेर" और "सीता शेरनी" को लेकर हाईकोर्ट की शरण में VHP, कहा- राज्य के वन विभाग ने किया हिंदू धर्म का अपमान


Rafique Khan
पश्चिम बंगाल में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां त्रिपुरा से जूलॉजिकल पार्क में लाए गए शेर और शेरनी का नाम अकबर तथा सीता है। शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता होने से विश्व हिंदू परिषद तिलमिला उठा है। विश्व हिंदू परिषद में इस मामले को लेकर हाईकोर्ट की शरण दी है। विश्व हिंदू परिषद का साफ कहना है कि यह नामकरण का काम राज्य के वन विभाग ने किया है और यह सरासर हिंदू धर्म का अपमान है। जिसे कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हाई कोर्ट में पहुंचे इस मामले की सुनवाई 20 फरवरी को होगी।

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि कलकत्ता हाई कोर्ट में 16 फरवरी 2024 को यह मामला जस्टिस सौगत भट्टाचार्य की पीठ के सामने लाया गया था। इस मामले में राज्य के वन विभाग के अधिकारियों और सफारी पार्क के निदेशक को पक्षकार बनाया गया है।मंगलवार 20 फरवरी को विश्व हिंदू परिषद (VHP) की बंगाल शाखा की ओर से दायर शेर और शेरनी के नामों से संबंधित याचिका पर सुनवाई करेगा। सिलीगुड़ी के सफारी पार्क में कथित तौर अकबर नाम के शेर को सीता नाम की शेरनी के साथ रखने को लेकर पश्चिम बंगाल वन विभाग को चुनौती दी गई है। शेर और शेरनी को हाल ही में त्रिपुरा के सिपाहीजला जूलॉजिकल पार्क से लाया गया था। वन विभाग के अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने शेर और शेरनी का नाम नहीं बदला है। उन्होंने दावा किया कि ये नाम दोनों जानवरों के सफारी पार्क में आने से पहले दिए गए थे।

आखिर ये किसके दिमाग की उपज

यह पूरा विवाद अकबर और सीता नाम के कारण है। अकबर भारत में मुगल साम्राज्य का एक मुस्लिम राजा था, जबकि सीता हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार, भगवान राम की पत्नी थीं। वीएचपी ने अपनी याचिका में दावा किया है कि सफारी पार्क में अकबर नाम के शेर के साथ सीता नाम की शेरनी को रखना हिंदू धर्म का अपमान होगा और हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा। उन्होंने अनुरोध किया है कि शेरनी का नाम बदल दिया जाए। वीएचपी प्रवक्ता विनोद बंसल ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, "सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी पार्क में जिन शेर-शेरनी को प्रजनन हेतु लाया गया है, उनका नाम अकबर और सीता है। आखिर ये किसके दिमाग की उपज है, इसकी जांच तो होनी ही चाहिए, साथ ही इनके नाम भी अबिलंब बदल कर संबंधित अधिकारियों को हिन्दू जन-भावनाओं पर चोट करने के लिए माफी भी मांगनी चाहिए
"