गांवों में जिंदा लोगों को "मार" कर दोबारा "जिंदा" करने की कला का खुलासा, नकली डेथ सर्टिफिकेट के सहारे बीमा क्लेम की राशि हड़पने का बड़ा मामला आया सामने - khabarupdateindia

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गांवों में जिंदा लोगों को "मार" कर दोबारा "जिंदा" करने की कला का खुलासा, नकली डेथ सर्टिफिकेट के सहारे बीमा क्लेम की राशि हड़पने का बड़ा मामला आया सामने


रफीक खान
गांवों में जिंदा लोगों को मार कर दोबारा जिंदा करने की कला का खुलासा हुआ है। दरअसल ग्राम पंचायतो में नकली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर उसके सहारे बीमा क्लेम राशि की को हड़पने का मामला सामने आया है। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस रैकेट को लेकर चिंता व्यक्त की है। साथ ही मृत्यु प्रमाण पत्रों की जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के निर्देश दिए हैं। जनपद पंचायत सीईओ और ग्राम पंचायत सचिवों की भूमिका को भी सवालों के घेरे में लिया गया है। इस पर प्रभावी कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को भी निर्देश दिए गए हैं।

इस संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने बताया कि पंचायतो से जारी नकली मृत्यु प्रमाण पत्र के सहारे बीमा क्लेम की राशि निकालने के रैकेट पर मप्र राज्य सूचना आयोग ने चिंता जतायी है। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पंचायत विभाग को जारी आदेश में कहा कि "ग्राम पंचायत के द्वारा जिंदा लोगों को मार कर वापस जिंदा करने की कला पर" तत्काल रोक लगना जरूरी है। इस फ़र्जीवाडे को रोकने के लिए सिंह ने सभी पंचायतो के लिए मृत्यु प्रमाणपत्र की जानकारी अनिवार्य रूप से वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के निर्देश जारी किए हैं। पंचायत में नकली मृत्यु प्रमाण पत्र के रैकेट का खुलासा आयोग में तब हुआ जब RTI आवेदिका एडवोकेट दीपमाला मिश्रा ने भिंड और मुरैना दोनों जिलों की दो ग्राम पंचायतो में पिछ्ले 5 साल में जारी और डिलीट किए गए मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने की जानकारी मांगी। दीपमाला मिश्रा सभी प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी के लिए लाइफ इंश्योरेंस क्लेम के इन्वेस्टिगेशन का काम भी करती हैं।

ऐसे चलता है मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का रैकेट

दीपमाला मिश्रा ने सुनवाई में आयोग के सामने दस्तावेज रखते हुए खुलासा किया कि ग्वालियर चंबल संभाग में बड़े पैमाने पर ग्राम पंचायत से नकली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने का रैकेट चल रहा है। इस रैकेट के चलते प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी ने भिंड मुरैना क्षेत्र को ब्लैकलिस्टेड भी कर रखा है। मिश्रा ने कहा कि पैसा लेकर ग्राम पंचायत सचिव मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं और उसके बाद जब बीमा क्लेम की राशि निकाल ली जाती है तो पंचायत सचिव मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के रिकॉर्ड को डिलीट कर देते हैं।

सर्टिफाइड मरे हुए लोग इन्वेस्टीगेशन में जिंदा निकलते हैं

दीपमाला मिश्रा ने आयोग को बताया कि ग्राम पंचायत सचिवों के विरूद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने की वजह से यह रैकेट 2010 से चल रहा है। पंचायत सचिव से जब आरटीआई में जानकारी मांगते हैं तो वह सालों जवाब नहीं देते हैं। जब गांव मे मृत्यु आदमी इंश्योरेंस कंपनी के इंस्टिगेशन में जिंदा निकलता है तो पंचायत सचिव यह सफाई देते हैं कि उनका पोर्टल हैक हो गया है उनका आईडी पासवर्ड चोरी करके किसी ने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया है। दीपमाला मिश्रा ने सूचना आयुक्त राहुल सिंह के सामने इस प्रकरण से संबंधित दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि वर्तमान में ग्वालियर के डाबरा के खड़वाई ग्राम में मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर सात लोगों की बीमा की राशि निकाली गई। हाल ही में यह सातों लोग इंश्योरेंस कंपनी के इन्वेस्टिगेशन में जिंदा पाए गए अभी मामला स्थानीय कोर्ट में चल रहा है।

नकली प्रमाण पत्र जारी होने पर FIR करवाए आयोग


सूचना आयोग से जारी आदेश में आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायत सचिवों की दलील कि उनका पासवर्ड आईडी हैक हो गया था इसीलिए नकली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हो गए स्वीकार करने योग्य नहीं है। इस तरह के मामलों मे जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए। शासकीय रिकॉर्ड में किसी भी तरह की हेराफेरी कूटरचना भारतीय न्याय संहिता के तहत दंडनीय अपराध है। सिंह ने कहा कि दस्तावेजों में इस तरह की कूटरचना सामने आने पर यह लोक प्राधिकारियों का दायित्व है की वह प्रकरण में FIR दायर करवाकर दोषी अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करवाए।

रैकेट में पंचायत की भूमिका आयोग के लिए चिंता का विषय


सिंह ने जारी आदेश में कहा कि इस तरह की रैकेट में अभी तक पंचायत विभाग की ओर से संबंधित ग्राम पंचायत सचिवों के ऊपर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने और मृत्यु के नकली प्रमाण पत्र के रिकार्ड संधारण की व्यवस्था पारदर्शी नहीं होने के चलते ही पंचायत सचिव बिना किसी डर के शासकीय रिकॉर्ड में गड़बड़ी कर बेख़ौफ़ मृत्यु के फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं। सूचना आयुक्त ने कहा कि ग्वालियर चंबल संभाग में व्यापक पैमाने पर नकली मृत्यु प्रमाण पत्र का रैकेट में ग्राम पंचायत की भूमिका आयोग के लिए चिंता का विषय है यह पूरी तरह से एक सुनियोजित आपराधिक कृत्य है जिस पर तत्काल रोक लगाने की आवश्यकता है।

मृत्यु प्रमाण पत्र की जानकारी वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के निर्देश

इस रैकेट पर अंकुश लगाने के लिए सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पंचायत विभाग के विकास आयुक्त मंत्रालय भोपाल को आदेश जारी किए हैं। सिंह ने पंचायत की रिकॉर्ड संधारण व्यवस्था को सूचना आयोग का अधिकार क्षेत्र बताते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र के रिकॉर्ड को वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के निर्देश जारी किए हैं। सिंह ने कहा कि इससे पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित होगी और साथ ही नकली प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी कर्मचारियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। RTI आवेदिका को इन दोनों प्रकरणों में जानकारी के परेशान करने और जानबूझकर जानकारी रोकने पर क्षतिपूर्ति की राशि के आदेश भी जारी किए है। सिंह ने कहा कि नकली मृत्यु प्रमाण पत्र के रैकेट को देखते हुए इस प्रकरण में जानकारी रोकने से जनपद पंचायत सीईओ और ग्राम पंचायत के सचिवों की भूमिका सवालों के घेरे में है। भिंड और मुरैना के पंचायत सचिव और जनपद पंचायत सीईओ की लापरवाही की वजह से RTI में जानकारी नहीं मिलने पर कुल ₹10000 का हर्जाना दीपमाला मिश्रा को पंचायत विभाग को देने के निर्देश सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जारी किए1