तहसीलदार जबलपुर के आदेश पर प्रशासन तथा उसके सहयोगी संबंधित विभाग ग्वारीघाट मुंगेली के जिस आश्रम को 3 मई 2024 को तोड़ना चाहते थे, उसे दूसरे आदेश 8 मई 2024 को भी नहीं हटा सके। यानी की 7 मई 2024 को तहसीलदार जबलपुर द्वारा किया गया आदेश भी 8 मई 2024 को सुबह 8:00 बजे क्रियान्वित नहीं किया जा सका। प्रशासन की इस कार्रवाई पर अचानक से ब्रेक लगने के पीछे भोपाल से एक फोन का आना कारण पता चल रहा है। भोपाल से यह फोन स्वयं मुख्यमंत्री ने किया या उनके स्टाफ ने या फिर किसी मंत्री या प्रशासन के उच्च पदस्थ अधिकारी ने किया? यह स्पष्ट नहीं हो सका है। बहरहाल प्रशासन ने अपनी इस कार्रवाई को अपरिहार्य कारणों के चलते फिलहाल स्थगित कर दिया है।
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि नर्मदा नदी के 300 मीटर की परिधि में बने मंगेली में अवैध आश्रम को तोड़ने की तैयारी प्रशासन ने मंगलवार रात को पूरी कर ली थी लेकिन ऐन वक्त पर भोपाल से फोन आते ही तैयारी पर पानी फिर गया। सूत्रों की माने तो भोपाल से प्रदेश सरकार ने कार्यवाही को फिलहाल रोकने की निर्देश दिए हैं। आचार संहिता और आश्रम में गायों का हवाला देकर आश्रम और उससे जुड़े अनुयायियों ने भोपाल में मुख्यमंत्री के पास गुहार लगाई थी, इसके बाद कार्यवाही की तैयारी को तत्काल रोक दिया गया। हाईकोर्ट में लगी आश्रम को न तोड़ने की याचिका खारिज होने के बाद भी आश्रम से जुड़े एक जनप्रतिनिधि ने इस मामले को लेकर भोपाल में शिकायत की। इसके बाद कार्रवाई को फिलहाल रोका गया है। भोपाल में बताया गया कि आश्रम में बड़ी मात्रा में यहां गाय हैं और अचानक से इस तरह की कार्रवाई के बाद गायों की सुरक्षा पर संकट खड़ा हो जाएगा। गायों की सुरक्षा और परवरिश का आधार बनाकर नर्मदा तट पर किए गए अतिक्रमण को बचाने की राहत मांगी गई है।