रफीक खान
चंबल क्षेत्र के मुरैना में एक नंदी बैल की मौत के बाद में ऐसा मातम छाया हुआ है कि आसपास के 28 गांव में गुरुवार को चूल्हा नहीं जला और ब्राह्मण भोज से लेकर 15000 लोगों को बुलाने की तैयारी भी चल रही है। बकायदा निमंत्रण पत्र भी छपा दिए गए हैं। विधि विधान से अंतिम संस्कार के साथ नंदी बैल को विदाई दी गई है। No stove lit in 28 villages on death of Nandi bull, Brahmin feast to be held, 15000 people invited
सबलगढ़ तहसील के राजाकातौर गांव में एक संत की याद में पूरे गांव ने मिलकर एक नंदी (सांड) पाला, जिसने बीते दिनाें दम तोड़ दिया। न सिर्फ विधि-विधान से नंदी का अंतिम संस्कार हुआ, अब नंदी का ऐसा विराट ब्राह्मण भोज किया जा रहा है, जो क्षेत्र के किसी सम्पन्न परिवार के व्यक्ति की याद में भी कभी नहीं हुआ। राजाकातौर के लोगाें ने 18 साल पहले एक संत की याद में बछड़े को गांव में छोड़ा। इस बछड़े को गांव के हर घर से भोजन (चारा) मिलता। यह नंदी बना तो रोज सुबह क्रम से हर घर के दरवाजे पर खड़ा होता। हर परिवार में नंदी के नाम से दो रोटी अलग बनतीं, जिन्हें दरवाजे पर आते ही नंदी को खिला देते।इस नंदी ने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। बुजुर्ग अवस्था में पहुंच चुके नंदी की 20 दिन पहले तबीयत बिगड़ी। पूरे गांव ने मिलकर इलाज करवाया, लेकिन 13 सितंबर काे नंदी ने प्राण त्याग दिए। इसके बाद फूल मालाओं से लादकर, अबीर-गुलाल उड़ाकर पूरे गांव में अंतिम यात्रा निकाली गई, फिर गांव के बाहर दफनाकर अंतिम संस्कार किया गया। नंदी के ब्राह्मण भोज के लिए राजाकातौर ही नहीं, बल्कि 28-30 गांवों के क्षत्रिय, ब्राह्मण, वैश्य, जाटव, रजक, प्रजापति आदि समाज के लोगों ने श्रद्धानुसार चंदा दिया है। इस चंदे से कल शुक्रवार 27 सितंबर को नंदी का भव्य भण्डारा (ब्राह्मण भोज) किया जा रहा है, इसमें 15000 से ज्यादा लोगों के लिए भोजन बन रहा है। राजाकातौर, बत्तोखर, अलीपुरा, वनवारा, रहूगांव, बेरई, संतोषपुर, कुल्होली, मोरावली, गुर्जा, कोलिया, मांगरौल, गुलालई, रामपहाड़ी, कुटरावली, बड़मन, नैपरी सहित 28-30 गांवों का सपरिवार निमंत्रण हेतु निमंत्रण पत्र भेजे जा रहे हैं।