रफीक खान
मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में पदस्थ रहे तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे की गिरफ्तारी के बाद तहसीलदारों में भय का माहौल बना हुआ है। हालांकि तहसीलदारों के आंदोलन के बाद अब राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव ने 3 साल पहले जारी किए गए आदेश को याद दिलाते हुए कहा है कि तहसीलदारों पर किसी भी तरह से अब सीधे एफआईआर दर्ज नहीं कराई जाए। क्योंकि इस आदेश में कानून का हवाला देते कहा गया है कि तहसीलदारों को न्यायाधीशों की तरह संरक्षण का प्रावधान है। ऐसी स्थिति में तहसीलदारों से किसी तरह के गलत आदेश होने की स्थिति में उन पर सीधे fir न करवाने और उन्हें सीधे गिरफ्तार न करने की बात का उल्लेख किया गया है। Now FIR will not be registered directly against Tehsildars, Principal Secretary of Revenue Department reminded of 3 year old order
कहा जाता है कि मध्य प्रदेश शासन के राजस्व विभाग ने कलेक्टरों को याद दिलाया है कि तहसीलदारों को तीन साल पहले राजस्व न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के रूप में मिले अधिकारों का ध्यान रखा जाए। इसके लिए अपर मुख्य सचिव गृह (पुलिस) विभाग को भी पत्र लिखा गया है, जिसमें कहा गया है कि तहसीलदारों के न्यायाधीश के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए ही अधीनस्थ अफसरों को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया जाए। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि राजस्व न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों को न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम, 1985 के तहत संरक्षण प्रदान किया जाए। यह आदेश 25 मार्च, 2021 को जारी किया गया था और सामान्य प्रशासन विभाग ने भी 31 जनवरी, 1994 को इस संबंध में निर्देश जारी किए थे। इसका मतलब यह है कि राजस्व न्यायालयों के सभी पीठासीन अधिकारी, जो एमपी भू-राजस्व संहिता की धारा 31 या किसी विधिक प्रावधान के तहत अर्द्ध न्यायिक या न्यायिक कार्यवाही कर रहे हैं, उन्हें न्यायाधीश संरक्षण अधिनियम, 1985 की धारा 2 के तहत न्यायाधीश माना जाएगा। राजस्व विभाग द्वारा कलेक्टर व कमिश्नरों से ऐसी स्थितियों में समन्वय स्थापित करने के भी निर्देश दिए गए हैं।