रफीक खान
मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में प्रेक्टिस करने वाले प्रदेश के प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पवन स्थापक को डॉ आर. पी. ढांडा अवार्ड से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह सम्मान राजधानी भोपाल में दिया गया है। नेत्र रोग विशेषज्ञ में डॉक्टर पवन स्थापक की उत्कृष्ट सेवाओं का कोई सानी नहीं है। जिस तरह से वे समाज सेवा और चिकित्सा सेवा में जुटे हुए हैं, उससे बड़ी संख्या में गरीबों और निम्न मध्यम वर्गीय लोगों को लगातार लाभ मिल रहा है। लाखों की तादाद में नि:शुल्क ऑपरेशन उनके द्वारा किए जा चुके हैं। Renowned eye specialist Dr. Pawan Sthapak received Dr. Dhanda Award
कहा जाता है कि मध्यप्रदेश स्टेट ओफ्थल्मिक सोसाइटी की राज्य स्तरीय कांफ्रेंस, होटल रेडिसन भोपाल में आयोजित की गई थी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एम्स दिल्ली के पूर्व नेत्र विभाग प्रमुख डॉ रसिक बिहारी बाजपेयी एवं डॉ ललित वर्मा के द्वारा प्रदान किया गया I तीन दिवसीय इस कांफ्रेंस में देश -विदेश के 700 से ज्यादा नेत्र विशेषज्ञ उपस्थित थे I डॉ पवन स्थापक को यह अवार्ड उत्कृष्ट सामुदायिक निःशुल्क नेत्र चिकित्सा सेवाओं और निर्विवाद छवि,समाजसेवा,गुणवत्तायुक्त चिकित्सा सेवा में पूर्णता से लगे रहने वाले नेत्र चिकित्सक को प्रदान किया जाता है I स्मरणीय है की डॉ पवन स्थापक 32 वर्षों से लगातार निःशुल्क नेत्र चिकित्सा सेवा कार्य कर रहे है I मध्यप्रदेश स्टेट ओफ्थल्मिक सोसाइटी चयन मंडल ने उनको इन्ही मापदंडों के आधार पर चुना इ स्मरणीय है कि 7 वर्ष पूर्व डॉ पवन स्थापक ने शहर कि संपत्ति बेच कर दादा वीरेन्द्रपुरी जी नेत्र संस्थान (देवजी नेत्रालय ) जबलपुर का निर्माण कराया था I आज देवजी नेत्रालय के माध्यम से महाकोशल के सोलह जिलों में की जा रही है एवं मरीजों का नेत्र परिक्षण कर चयनित मरीजों का निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन दादा वीरेंद्र पुरी जी महाराज नेत्र चिकित्सालय (देवजी नेत्रालय) में किया जाता है I दादा वीरेंद्र पुरी जी महाराज नेत्र संस्थान (देवजी नेत्रालय) के द्वारा गत सात वर्षों में सत्रह लाख से ऊपर नेत्र परिक्षण एवं 2,35,000 निःशुल्क मोतियाबिंद ऑपरेशन किये जा चुके हैI COVID आपदा के कठिन समय में जब मरीजों को कही पर हॉस्पिटल में जगह नहीं मिल रही थी तब अपनी जान जोखिम में डालकर देवजी नेत्रालय को 200 बेड वाले COVID हॉस्पिटल में बदल दिया था एवं वहाँ पर 400 मरीजों का निःशुल्क उपचार किया था I किसी भी मरीज से ना भर्ती का शुल्क, ना डॉक्टर कि फीस,ना नर्सिंग चार्ज,ना भोजन का,ना दवाई का,ना ही ऑक्सीजन का चार्ज लिया गया I 15 मरीज वेंटीलेटर पर और 56 मरीज हाई फ्लो ऑक्सीजन पर थे एक भी मरीज की मृत्यु नहीं हुई थी।