रफीक खान
मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में कानून की पढ़ाई करने वाले एक छात्र पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल भेजने के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए कड़ी फटकार लगाई है। कानून के छात्र को तत्काल रिहा करने के निर्देश भी मध्य प्रदेश सरकार को दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस और प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई को पूरी तरह से अनुचित करार दिया है।Supreme Court enraged over imposition of NSA on law student, directs MP government to release him immediately
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और के.विनोद चंद्रन की पीठ ने मध्य प्रदेश में बैतूल के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा 11 जुलाई, 2024 को पारित निरोध आदेश में कई खामियां निकालते हुए कहा कि वह इस मामले में विस्तृत और तर्कसंगत आदेश पारित करेंगे। पीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा रिकॉर्ड पर लाई गई सामग्री के अनुसार, अदालत को पता चलता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के तहत प्रिवेंटिव डिटेंशन को उचित ठहराने के लिए कानून के छात्र के खिलाफ वर्तमान आपराधिक मामले सहित नौ आपराधिक पृष्ठभूमि का हवाला दिया गया है। हालांकि, उनके वकील ने दलील दी कि पिछले आठ में से पांच मामलों में अन्नू को बरी कर दिया गया है और एक मामले में उसे दोषी ठहराया गया है, लेकिन सजा केवल जुर्माना लगाने की हुई है। छात्र को बैतूल के एक कॉलेज में हुए विवाद के बाद प्रोफेसर से उलझने और उन्हें धमकाने के मामले में गिरफ्तार करने के बाद प्रिवेंटिव डिटेंशन में लिया गया था। प्रिवेंटिव डिटेंशन का मतलब होता है किसी शख्स को कोई अपराध किए बिना, भविष्य में अपराध करने से रोकने के लिए हिरासत में लेना। यह कार्रवाई तब की जाती है, जब सरकार को लगता है कि वह व्यक्ति भविष्य में कानून और व्यवस्था के लिए खतरा बन सकता है। इससे पहले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अन्नू के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को 25 फरवरी को इस आधार पर खारिज कर दिया था, कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक मामलों का लंबा इतिहास रहा है और वह एक आदतन अपराधी है, जिसकी उपस्थिति सार्वजनिक शांति के लिए खतरा है।