रफीक खान
लगातार इल्जामों से घिरे हुए चुनाव आयोग को बताना होगा कि 65 लाख लोगों को किस तरह से हटाया गया है। किसका नाम, किस कारण से काटा गया है? इसका विवरण वेबसाइट पर उपलब्ध कराना होगा। बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण मामले को लेकर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उक्त निर्देश चुनाव आयोग को दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश से बहुत सारी शंका-कुशंकाएं दूर होने की भी पूरी संभावना है। Election Commission will have to tell whose name was deleted and why? Information of 65 lakh people deleted from voter list will have to be given
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि चुनाव आयोग ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी दलीलें रखीं। इस दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जिला स्तर पर मृत, पलायन कर चुके या स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं की सूची साझा करने पर सहमति जताई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से 19 अगस्त तक मतदाता सूची से हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की पहचान का खुलासा करने को कहा। कोर्ट ने 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह जिला निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय में हटाए गए 65 लाख मतदाताओं का विवरण, कारण सहित प्रकाशित करे। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह हटाए गए मतदाताओं की सूची का कारण सहित अखबारों, रेडियो और टीवी मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करे। बिहार में ड्राफ्ट मतदाता सूची से नाम हटाए जाने से पीड़ित लोग आधार कार्ड के साथ दावा प्रस्तुत कर सकते हैं।