रफीक खान
बिहार राज्य के चुनाव से पहले अचानक चुनाव आयोग का एक बड़ा एक्शन सामने आया। चुनाव आयोग ने 334 राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द कर दी। राजनीतिक पार्टियों की सूची से 334 राजनीतिक पार्टियों को हटा दिया गया है। यह सभी राजनीतिक पार्टियों वर्ष 2019 से चुनाव संबंधी निर्धारित किसी भी शर्तों को पूरा नहीं कर पाए। यहां तक कि कई राजनीतिक पार्टियों के तो कार्यालय तक का कोई अता पता नहीं है। चुनाव आयोग की फेहरिष्त में अब 2520 राजनीतिक दल शेष रह गए हैं। Election Commission's big action: Recognition of 334 political parties cancelled, now there are 2520 parties left in the country
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि कुल 2,854 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में से आयोग के इस अभियान के बाद 2,520 ही बचे हैं। इनमें वर्तमान में छह राष्ट्रीय दल और 67 राज्य स्तरीय दल हैं। गौरतलब है कि इस वर्ष जून में आयोग ने ऐसे 345 दलों के खिलाफ कार्यवाही शुरू की थी और अंतत: 334 को सूची से हटा दिया। पीआईबी की रिपोर्ट के मुताबिक देश में राजनीतिक दल (राष्ट्रीय/राज्यीय/आरयूपीपी) लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1955 की धारा 29ए के प्रावधानों के अंतर्गत चुनाव आयोग के साथ पंजीकृत हैं। वर्तमान में, चुनाव आयोग के साथ 6 राष्ट्रीय दल, 67 प्रादेशिक दल और 2854 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल (आरयूपीपी) पंजीकृत हैं। (अनुलग्नक: राष्ट्रीय और प्रादेशिक दलों की सूची) राजनीतिक दलों के पंजीकरण के लिए दिशानिर्देशों में उल्लेख किया गया है कि यदि कोई दल लगातार 6 वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ता है, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया जाएगा। इसके साथ ही, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के अनुसार, दलों को पंजीकरण के समय नाम, पता, पदाधिकारी आदि जैसे विवरण देने होंगे और किसी भी तरह के बदलाव की जानकारी बिना किसी देरी के आयोग को देनी होगी। इससे पहले, जून 2025 में, भारत निर्वाचन आयोग ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को उपरोक्त शर्तों के अनुपालन के संबंध में 345 आरयूपीपी की सत्यापन जांच करने का निर्देश दिया था। मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने जांच की, इन आरयूपीपी को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किए और प्रत्येक पक्ष को व्यक्तिगत सुनवाई कर जवाब देने और अपना विषय प्रस्तुत करने का मौका दिया। इसके बाद, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर, कुल 345 आरयूपीपी में से 334 आरयूपीपी उपरोक्त शर्तों का पालन नहीं करते पाए गए। बाकी विषयों को दोबारा सत्यापन के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को वापस भेज दिया गया है। आयोग ने सभी तथ्यों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की सिफारिशों पर विचार करने के बाद, 334 आरयूपीपी को सूची से हटा दिया है (लिंक: https://www.eci.gov.in/list-of-political-parties)। अब, कुल 2854 में से 2520 आरयूपीपी शेष हैं। सूची से हटाने की यह प्रक्रिया चुनाव आयोग की चुनावी प्रणाली को स्वच्छ बनाने की एक व्यापक और सतत रणनीति का हिस्सा है। ये आरयूपीपी अब आयकर अधिनियम, 1961 और चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के प्रासंगिक प्रावधानों के साथ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29बी और धारा 29सी के प्रावधानों के अंतर्गत कोई लाभ उठाने के लिए पात्र नहीं होंगे। इस आदेश से व्यथित कोई भी पक्ष आदेश के 30 दिनों के भीतर आयोग में अपील दाखिल कर सकता है।