रफीक खान
सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने स्वतः संज्ञान लेते हुए दिल्ली में घूमने वाले आवारा कुत्तों और उनके आतंक को रेखांकित करते हुए सरकार को आड़े हाथों लिया है। सरकार को निर्देश दिए हैं कि आवारा कुत्तों के मामले में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्हें हर हाल में शेल्टर होम भेजा जाए। इस मामले में अगर कोई संस्था या संगठन या व्यक्ति विशेष बाधा डालता है तो उसकी खैर नहीं होगी। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कुत्तों के बधियाकरण और टीकाकरण के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तैनात करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश हालांकि भारत की राजधानी दिल्ली के लिए है लेकिन पूरे देश समेत मध्य प्रदेश में भी काफी बदतर स्थिति है। समय रहते सरकार के जिम्मेदार विभागों का चेतना जरूरी है। Negligence will not be tolerated in the case of stray dogs, if anyone obstructs in following the order, he will not be spared
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या ऐसे लोगों को वापस लाया जा सकता है, जो रेबीज के शिकार हो गए? कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए कोर्ट ने कई निर्देशों को पारित किया। निर्देशों को पारित करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि वर्तमान में दिल्ली में लगभग 5000 आवारा कुत्तों के लिए शेल्टर बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा कुत्तों के बधियाकरण और टीकाकरण के लिए पर्याप्त संख्या में कर्मचारी तैनात किए जाने चाहिए। पीठ ने कहा कि आवारा कुत्तों को डॉग शेल्टर में रखा जाए। किसी आवारा कुत्ते को सड़कों, गलियों और कॉलोनियों में ना छोड़ा जाए। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 28 जुलाई को आवारा कुत्तों के मामले पर स्वतः संज्ञान लिया। शीर्ष न्यायालय ने अधिकारियों को एक हफ्ते के भीतर एक हेल्पलाइन जारी करने का भी आदेश दिया, जिससे कुत्तों के काटने के सभी मामलों की सूचना तुरंत मिल सके।