रफीक खान
मध्य प्रदेश के जबलपुर में केंद्रीय जीएसटी के असिस्टेंट कमिश्नर विवेक शर्मा और इंस्पेक्टर सचिन खरे की चार लाख रुपए की रिश्वतखोरी में हुई गिरफ्तारी के बाद गुरुवार को दोनों को कोर्ट में पेश किया गया। यहां कोर्ट ने दोनों ही अधिकारियों को 22 दिसंबर तक पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर सौंप दिया है। उधर अधीक्षक मुकेश बर्मन की तलाश में सीबीआई की टीम ने कई जगह दबिश दी लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल पाया है। सीबीआई ने कार्यालय की कई फाइलों को भी जांच में लेकर पतासाजी को आगे बढ़ाया है। गुरुवार को पूरे दिन केंद्रीय जीएसटी के सभी दफ्तरों में हड़कंप का माहौल बना रहा। असिस्टेंट कमिश्नर विकलांग है, वह सीबीआई के घेरे में कोर्ट परिसर में भी चर्चा का विषय बन रहे। Raids were conducted in several locations in search of the Superintendent, and demands were made for former Tehsildar Vivek Tripathi for three months.
उल्लेखनीय है कि पूर्व तहसीलदार और वर्तमान में सुकून होटल एंड रेस्टोरेंट के संचालक विवेक त्रिपाठी पर कथित सीजीएसटी की रिकवरी पिछले 3 महीने से मांगी जाती रही थी। विवेक त्रिपाठी द्वारा की गई सीबीआई एसपी को शिकायत में अधिकारियों की करतूत का ब्यौरा पेश किया गया है। 27 नवंबर 2025 को विवेक त्रिपाठी, निदेशक सतपुरा इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड, जबलपुर ने निरीक्षक (उप/सहायक सीजीएसटी कार्यालय जबलपुर) सचिन खरे के द्वारा रिश्वत की मांग के संबंध में एक लिखित शिकायत दी थी। शिकायत में बताया गया था कि सतपुरा इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड के जबलपुर में उनके चार होटल हैं। वर्ष 2018-19 में उनके एक होटल सुकून सिटी व्यू का ओयो कंपनी के साथ संबद्धता थी। ओयो कंपनी से संबंधित जीएसटी का मामला जबलपुर के सीजीएसटी कार्यालय में लंबित है और इस संबंध में उनके होटल को करों के बकाया के लिए एक कारण बताओ नोटिस भेजा गया। सीजीएसटी विभाग ने उनसे उनके होटल, सुकून सिटी व्यू जबलपुर के दस्तावेज और रिकॉर्ड उपलब्ध कराने को कहा था और उन्होंने नोटिस के लिखित उत्तर के माध्यम से सुकून सिटी व्यू के सभी दस्तावेज और रिकॉर्ड बैंक स्टेटमेंट के साथ सीजीएसटी विभाग को पहले ही जमा कर दिए हैं। इंस्पेक्टर सचिन खरे होटल के खिलाफ मामला बंद करने और पक्ष में आदेश देने के बदले में 4 लाख रुपये की अवैध रिश्वत की मांग कर रहे हैं और उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों से अपना काम करवाने का आश्वासन भी दिया है। प्राथमिक सत्यापन के बाद शिकायत पर कार्रवाई के निर्देश सीबीआई एसपी द्वारा दिए गए। बुधवार को निर्धारित योजना के तहत पहले इंस्पेक्टर सचिन कांत खरे को चार लाख रुपए की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया। इसके बाद गौरीघाट स्थित कार्यालय में असिस्टेंट कमिश्नर विवेक वर्मा को दबोचा और फिर अधीक्षक मुकेश बर्मन को घेरने के लिए टीम पहुंची लेकिन वह समय रहते फरार हो गया। इस पूरे मामले के बाद सीजीएसटी के सर्वे, मांग और छापे सवालिया कटघरे में आ खड़े हुए हैं। सीजीएसटी के सरकारी अधिकारियों ने जिस तरह गृह बनाकर रिश्वतखोरी का यह कारनामा प्रस्तुत किया है, उससे सीबीआई ने भी अपने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अब देखना यह है कि 22 दिसंबर तक रिमांड पर लेने के बाद सीजीएसटी अधिकारियों से सीबीआई क्या-क्या उगलवा पाती है?
