40 में से मात्र 5 अंक पाने वाली LDC गीता की नियुक्ति पर हाईकोर्ट की फटकार, 2 माह में योग्य व्यक्ति की नियुक्ति का आदेश - khabarupdateindia

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40 में से मात्र 5 अंक पाने वाली LDC गीता की नियुक्ति पर हाईकोर्ट की फटकार, 2 माह में योग्य व्यक्ति की नियुक्ति का आदेश


रफीक खान
मध्य प्रदेश में कानून की डिग्री करने वालों को वकालत का लाइसेंस देने वाली संस्था स्टेट बर काउंसिल में सचिव पद पर गीता शुक्ला की नियुक्ति को हाई कोर्ट की प्रिंसिपल बेंच जबलपुर में पूर्णता अवैध करार दिया है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में फटकार लगाते हुए स्पष्ट कहा है कि यह अधिवक्ता अधिनियम का घोर उनलंघन है। भला 40 अंकों में से मात्र पांच अंक हासिल कर 12वीं रैंक पर रहने वाली उम्मीदवार को कैसे सचिव नियुक्त कर दिया गया। हाई कोर्ट ने दो माह के भीतर योग्य उम्मीदवार को नियुक्त करने का भी आदेश दिया है। तब तक तदर्थ सचिव की नियुक्ति स्टेट बार काउंसिल को करना होगी।The High Court reprimanded the appointment of Geeta, an LDC who scored only 5 out of 40 marks, and ordered the appointment of a qualified person within two months.

जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा व न्यायमूर्ति विनय सराफ की युगलपीठ ने स्टेट बार के उन दोनों आदेशों को निरस्त कर दिया, जिसके तहत गीता शुक्ला को पहले सहायक सचिव और बाद में सचिव पद पर नियुक्त किया गया था। कोर्ट ने गीता को वापस एलडीसी के पद पर रिवर्ट करने के आदेश दिए। कोर्ट ने दो माह के भीतर नियमानुसार योग्य उम्मीदवार की सहायक सचिव व सचिव के पद पर नियुक्ति करने के निर्देश दिए। साथ ही कोर्ट ने दो माह के लिए किसी योग्य उम्मीदवार को तदर्थ सचिव नियुक्त किए जाने की भी व्यवस्था दे दी। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि स्टेट बार सचिव का पद एक महत्वपूर्ण पद है और इस पद पर नियुक्ति के लिए योग्यताएं नियमों द्वारा निर्धारित की गई हैं। नियुक्ति से पहले इन्हें पूरा करना अनिवार्य है। कोर्ट ने कहा कि एमपी स्टेट बार काउंसिल ने 31 जनवरी 2022 को गीता को एलडीसी के पद से सहायक सचिव के पद पर पदोन्नत किया। इसके बाद नौ जुलाई, 2024 को उन्हें सचिव बना दिया गया। स्टेट बार के ही कुछ सदस्यों शैलेंद्र वर्मा, अहदुल्ला उसमानी, हितोषी जय हर्डिया, अखंड प्रताप सिंह और नरेन्द्र जैन ने गीता की नियुक्ति को चुनौती दी। दलील दी गई कि गीता को बिना योग्यता आउट आफ टर्न प्रमोशन दिया गया, जो कि अवैधानिक है।