रफीक खान
मध्य प्रदेश के जबलपुर में सांसद खेल महोत्सव के आयोजन में बवाल ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल महोत्सव में नया सिर्फ इतना हुआ कि सांसद द्वारा अपनी तरफ से नगद राशि इनाम के रूप में वितरित करवा दी गई। इसी नगद राशि पर कम और ज्यादा के आरोप लग गए। कथित तौर पर इनाम में दी गई नगद राशि और मैडल लौटा दिए गए। नारेबाजी और विरोध भी हुआ। जिसे देखकर ऐसा लगता है कि कहीं यह पार्टी के भीतर चल रही राजनीतिक गुटबाजी का हिस्सा तो नहीं है? सांसद की मिट्टी-पलीत करवाने के लिए कहीं कोई प्रायोजित प्रयास तो नहीं किया गया? वहीं डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर यानी कि जिला खेल अधिकारी (डीएसओ) की भूमिका भी संदिग्ध जान पड़ रही है। The MP Sports Festival in Jabalpur was a ruckus, and the organisation was keeping an eye on whether it was part of political factionalism.
वीडियो और सोशल मीडिया पर ऐसा प्रचारित हो रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वपूर्ण परिकल्पना का साकार रूप कहे जाने वाले सांसद खेल महोत्सव की समापन दिवस पर रानीताल खेल काम्पलेक्स में नकद राशि कम मिलने पर गुस्साए खिलाड़ियों ने जहां प्रमाण पत्र फाड़ दिए तो वहीं मैडल व लिफाफा जिला खेल अधिकारी आशीष पांडे को वापस कर दिया। अपने साथ हुई वायदा खिलाफी का कच्चा चिट्ठा लेकर खिलाड़ियों ने सांसद आशीष दुबे को तुरंत अवगत कराया। जिस पर सांसद ने तत्काल जिला खेल अधिकारी (डीएसओ) आशीष पान्डेय को बुलाया और जमकर फटकार लगाई। ऐसा कहा जा रहा है कि डीएसओ आशीष पान्डेय ने खिलाड़ियों से यह कह दिया कि जो मिला है रख लो, नहीं तो हम तुम लोगों का खेल कैरियर बर्बाद कर देंगे। आयोजन में सिहोरा, गांधीग्राम, बरगी, मंगेली, शहपुरा, कटंगी, पाटन, कुण्डम, बघराजी,मझौली क्षेत्रों में एथलेटिक्स, वॉलीबाल,कबड्डी कुश्ती, बैडमिंटन,फुटबाल, क्रिकेट,खो-खो,रस्सा कसी, हॉकी, बास्केटबाल,वुशू एवं योगा की प्रतियोगिताएं करवाई गई। इन प्रतियोगिताओं में जिन खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया उन्हे प्रमाण पत्र मेडल देने के साथ ही प्रोत्साहन स्वरूप नकद राशि का लिफाफा भी दिया गया। इस मामले में जिला खेल अधिकारी आशीष पांडे ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि मेरा काम सिर्फ खेल के आयोजन की देखरेख करने का है। बाकी राशि देने-लेने का काम सांसद के यहां से हुआ है। इसका में कतई जिम्मेदार नहीं हूं। आशीष पांडे का बयान स्पष्ट तौर पर खुद को साफ-पाक बताते हुए सांसद को कटघरे में खड़ा करने वाला है। खेल अधिकारी यह भूल गए की वह जिले की जिम्मेदार अधिकारी है ना कि आयोजन करने वाली प्राइवेट एजेंसी? भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चुपचाप पड़ताल करवाना शुरू कर दी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कॉन्सेप्ट पर आयोजित खेल महोत्सव में हुई इस खुराफात का जिम्मेदार कौन-कौन है?
