झूठ पर झूठ : कोर्ट ने कहा- जब साइन कर लेते हो तो अंगूठे क्यों लगाए? दोनों एक्सीडेंट क्लेम प्रकरण निरस्त कर दिए - khabarupdateindia

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झूठ पर झूठ : कोर्ट ने कहा- जब साइन कर लेते हो तो अंगूठे क्यों लगाए? दोनों एक्सीडेंट क्लेम प्रकरण निरस्त कर दिए



Rafique Khan


मध्य प्रदेश की एक कोर्ट में सड़क दुर्घटना के मामले में क्लेम की मांग को निरस्त कर दिया गया। दरअसल यह मामला जब कोर्ट में प्रचलित था तो एक के बाद एक झूठ सामने आते गए और कोर्ट के समक्ष संदेह की स्थितियां बढ़ती चली गई। कोर्ट ने अपने संपूर्ण अवलोकन में इन संदेहों को रेखांकित करते हुए पीड़ितों से सवाल किया कि जब वह सिग्नेचर यानी कि हस्ताक्षर करना जानते थे तो फिर उन्होंने अंगूठे क्यों लगाए? इस पर भी जवाब सही नहीं मिल पाया। अंत में कोर्ट ने विरोधाभासी तथ्यों को देखते हुए दोनों क्लेम प्रकरण निरस्त कर दिए।

जानकारी के मुताबिक बताया जाता है कि जिला न्यायालय इंदौर ने दुर्घटना में मौत के मामले में यह मानने के बाद भी कि पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा मिल सकता है, क्लेम निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आवेदक हस्ताक्षर करना जानते थे, फिर भी दस्तावेजों पर अंगूठे क्यों लगाए गए? आवेदक खुद न्यायालय में बदल गए। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों पर अंगूठे किस तरह लग गए, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। मामले में एफआइआर भी 11 दिन बाद दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं दुर्घटना में घायल व्यक्ति ने अस्पताल में नहीं बताया कि दुर्घटना कैसे हुई?, कौन से वाहन ने टक्कर मारी?। कोर्ट में उसने कहा कि कोई व्यक्ति जेब में पर्ची रख गया, जिसमें टक्कर मारने वाली गाड़ी का नंबर था1

यह है पूरा मामला


बताया जाता है कि 18 जुलाई 2016 को धर्मेंद्र परमार नामक व्यक्ति की उज्जैन जाते वक्त दुर्घटना में मौत हो गई थी। उसके साथ भूपेंद्र शर्मा नामक व्यक्ति भी था, लेकिन वह दूसरी बाइक से उसके साथ जा रहा था। हादसे में भूपेंद्र को भी चोट आई थी। हादसे के 11 दिन बाद धर्मेंद्र की पत्नी जतनदेवी द्वारा लिखवाई गई एफआइआर में कहा कि मोटर साइकिल से टक्कर हुई थी। बाद में दोनों पक्षों ने न्यायालय में क्लेम प्रकरण प्रस्तुत किए। कोर्ट में भूपेंद्र ने अलग-अलग बयान दिए। उसने पहले बताया कि दुर्घटना के वक्त ही उसने मोटर साइकिल का नंबर नोट कर लिया था, लेकिन बाद में बताया कि कोई व्यक्ति उसकी जेब में पर्ची रख गया था जिस पर मोटर साइकिल का नंबर लिखा हुआ था। धर्मेंद्र की पत्नी जतनदेवी और भूपेंद्र ने कोर्ट में प्रस्तुत वकील पत्र पर अंगूठे लगाए थे, लेकिन कोर्ट में प्रस्तुत अन्य दस्तावेजों पर उन्होंने हस्ताक्षर किए थे। दोनों ही कोर्ट में यह नहीं बता सके कि जब वे पढ़े-लिखे हैं तो उन्होंने वकील पत्र पर अंगूठा क्यों लगाया था।