रफीक खान
मध्य प्रदेश के शहडोल जिले से एक बार फिर रेत माफिया के बुलंद हौसलों के साथ एक थानेदार की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दिए जाने की खबर सामने आ रही है। ब्यौहारी थाना क्षेत्र में देर रात घटित इस घटना ने एक बार फिर रेत माफियाओं और शासन प्रशासन की संगा बित्ती को उजागर कर दिया है। शनिवार तथा रविवार की दरमियानी रात में घटना को अंजाम देने के बाद रेत माफिया का गुर्गा ट्रैक्टर व ट्रॉली छोड़कर भाग खड़ा हुआ। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि घटना के वक्त मृतक थानेदार के साथ उसके दो सहकर्मी भी थे, वह आखिर ट्रैक्टर चला रहे और उसके साथ बैठे लोगों को क्यों नहीं पकड़ पाए या फिर वे खुद भी जान बचाकर वहां से भाग निकले? पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पांच माह पूर्व ही शहडोल जिले में बाणसागर थाना क्षेत्र अंतर्गत भूतपूर्व सैनिक तथा उस दौरान पटवारी का काम कर रहे कर्मचारी को भी इसी तरह मौत के घाट उतार दिया गया था।
घटना के संबंध में मिली जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि एएसआई महेंद्र बागरी ASI Mahendra Bagri की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई है। जिल के अंतर्गत आने वाले ब्यौहारी थाने में पदस्थ एएसआई महेंद्र बागरी शनिवार-रविवार की दरमियानी रात करीब 1 बजे फरार वारंटी को पकड़ने बड़ौली गांव पहुंचे थे। उनके साथ दो अन्य पुलिसकर्मी भी मौजूद थे। जब वे अस्थाई रूप से बने हेलीपैड के नजदीक पहुंचे तो सामने से रेत का अवैध परिवहन करते एक ट्रैक्टर उन्हें मिला। बागरी ने उससे रुकने का इशारा किया, लेकिन ड्राइवर ने रफ्तार बढ़ा दी, जिससे अनियंत्रित होकर ट्रैक्टर एएसआई महेंद्र बागरी को रौंदते हुए गुजर गया। घटना के बाद आरोपी चालक ट्रैक्टर से कूदकर फरार हो गया।
आखिर सबक क्यों नहीं ले रही सरकार
रेत माफिया का तंत्र कुछ इस तरह से फैला हुआ है कि पटवारी से लेकर आईपीएस तक की हत्या के बावजूद उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं पाया है। जहां-जहां रेत का कारोबार है, वहां रेत माफिया के गुर्गे न सिर्फ अपना अवैध काम कर रहे हैं बल्कि शासन प्रशासन के जिम्मेदार पहरेदारों को एक तरह से अपने ठोकर पर रखते हैं। लगातार घटनाएं हो रही है, अधिकारी कर्मचारी कुचल कर मारे जा रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार इस दिशा में कोई प्रभावी कदम नहीं उठा पा रही है। रेत माफियाओं द्वारा हत्या जैसी वारदातों को भी सामान्य सी घटना मानकर बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से दफन किया जा रहा है।