रफीक खान
अस्पतालों के व्यापार में मरीज के साथ खिलवाड़ आम बात होती जा रही है। लगातार किसी न किसी अस्पताल का मामला सुर्खियों में बना हुआ है। दमोह में फर्जी डिग्री वाला डॉक्टर जहां लोगों के दिल का ऑपरेशन कर मौत के घाट उतारता रहा तो वहीं शासकीय जिला अस्पताल विक्टोरिया जबलपुर में भारतीय जनता पार्टी का एक नेता फर्जी डिग्री के सहारे डॉक्टर बनकर मौज करता रहा। अब मामला निजी अस्पताल आदित्य हॉस्पिटल का सामने आया है। यहां एक डॉक्टर ने मंडला निवासी मरीज को वेंटिलेटर लगाया तो दूसरे ने आकर वेंटिलेटर हटा दिया। नतीजा यह रहा कि मरीज की मौत हो गई। इलाज के लिए जबलपुर आए परिजनों में स्वाभाविक तौर पर आक्रोश पनपा। उन्होंने हंगामा किया, पुलिस भी मौके पर पहुंची लेकिन अस्पताल संचालक और डॉक्टर अभी भी शिकंजे से बाहर है। यानी कि मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ का सिलसिला जारी रहेगा। In Aditya Hospital of Jabalpur, one doctor put the ventilator in, another removed it, the patient died
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि नेपियर टाउन स्थित आदित्य हॉस्पिटल में मंडला निवासी आशीष सिंधियां की 4 अप्रैल को तबितय खराब होने पर भर्ती कराया गया था। डाक्टर पंकज असाटी की निगरानी में मरीज का इलाज चल रहा था। बीती रात ड्यूटी डॉक्टर निगम द्वारा परिजनों को बिना सूचित किए पाइप साफ करने के नाम पर उनका वेंटीलेटर निकाला गया था, जिससे उनकी मौत हो गई। परिजनों ने जब यह पूछा कि बिना डॉ असाटी से पूछे आपने किसके कहने पर वेंटीलेटर हटाया? तो ड्यूटी डॉक्टर निगम और अस्पताल की जिम्मेदार कोई जवाब नहीं दे पाए। मरीज की मौत के बाद परिजन और रिश्तेदारों में मातम छा गया। वह इस लापरवाही का जवाब मांगने के लिए शोरगुल करते रहे पर सिवाय उन्हें शांत करवाने के कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया। डॉ. निगम ने इसकी जानकारी देने की जगह परिजनों के साथ अभद्रता की। डॉ निगम कितना शिक्षित है? यह सवाल भी मरीज के परिजनों की जुबान तक ही रह गया। देखना यह है कि मरीज की मौत के बाद पुलिस और प्रशासन क्या रवैया अपनाते हैं?