रफीक खान
मध्य प्रदेश में पुलिस का एक नया वाकया सामने आया है। भिंड जिले में आरोपित है कि आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान SP की मौजूदगी में पत्रकारों को लात और जूते से पीटा गया। जाहिर सी बात है प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों के पूछने पर या फिर कोई ऐसी बात कह देने से यह हालत निर्मित हुए, लेकिन यह बात भी तय है कि पुलिस आखिर प्रेस कॉन्फ्रेंस जैसे आयोजन के दौरान कैसे आपा को बैठी? अगर यही हाल रहा तो जनता के बीच से तो बड़े-बड़े सवाल और सच्चाई को छूने वाली बातें सामने आती है, तब क्या होगा? During a press conference in MP, the police beat up journalists with kicks and shoes, complaint was made to ADGP in the name of DGP
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि भिंड में पत्रकारों पर पुलिस का हमला, पत्रकारिता दिवस पर उठे सवाल भिंड में चाय पर चर्चा के नाम पर आयोजित कार्यक्रम में पुलिस अधिकारियों ने पत्रकारों के साथ मारपीट की। कार्यक्रम में एसआई गिरीश शर्मा और सत्यबीर सिंह ने संवाद की जगह गालियां दीं और कई पत्रकारों को लात-घूंसे मारे। पीड़ितों में अमरकांत सिंह, शशिकांत गोयल, प्रीतम सिंह समेत कई पत्रकार शामिल हैं। घटना के बाद प्रदेशभर के पत्रकारों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि यह केवल शारीरिक हमला नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा वार है। पत्रकारों ने आरोप लगाया कि सरकार और पुलिस प्रशासन पत्रकारों को डराने की कोशिश कर रहे हैं। अब तक न तो पुलिस अधीक्षक पर कोई कार्रवाई हुई है और न ही मारपीट करने वाले अधिकारियों को निलंबित किया गया है। पत्रकारों ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार से मांग की है कि वे इस मुद्दे को विधानसभा में उठाएं। पीड़ित पत्रकार अमरकांत चौहान और शशिकांत गोयल के साथ रॉयल प्रेस क्लब के अध्यक्ष पंकज भदौरिया और संयुक्त सचिव अंकित पचौरी ने भोपाल पहुंचकर एडीजी ए. साईं मनोहर से मुलाकात की। पत्रकारों के दल ने पुलिस महानिदेशक के नाम एक शिकायत पत्र एडीजीपी साइ मनोहर को सौंपा तथा मामले में गंभीरता से कार्रवाई की मांग की।