जबलपुर में कांग्रेस नेता और अस्पताल के स्टाफ में मारपीट, आयुष्मान कार्ड ना मानने को लेकर हुआ विवाद - khabarupdateindia

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जबलपुर में कांग्रेस नेता और अस्पताल के स्टाफ में मारपीट, आयुष्मान कार्ड ना मानने को लेकर हुआ विवाद


रफीक खान
मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित एक निजी अस्पताल हार्ट इंफिनिटी हॉस्पिटल कांग्रेस नेता और स्टाफ के बीच मारपीट का मामला सामने आया है। यह मामला दो दिन पुराना है लेकिन रविवार को इसका वीडियो सामने आया और उसके बाद दोनों ही पक्षों में हलचल मच गई। अस्पताल प्रबंधन ने जहां पुलिस थाने पहुंचकर शिकायत की वहीं कांग्रेस नेता ने सीएमएचओ को शिकायत की है कि अस्पताल आयुष्मान कार्ड को नहीं मानता और मरीज से पैसे वसूले गए। अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का भी आरोप लगाया गया है। पुलिस ने कांग्रेस नेता के खिलाफ FIR भी दर्ज कर ली है।

Fight between Congress leader and hospital staff in Jabalpur, dispute over not accepting Ayushman card

जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि 14 जून 2025 को पनागर निवासी एक मरीज विष्णु प्रसाद को सीने में दर्द की शिकायत के चलते उसे तैयब अली चौक पर स्थित हार्ट इनफिनिटी हॉस्पिटल लाया गया।प्रारंभिक जांच के बाद मरीज को बताया कि हार्ट में ब्लाकेज हैं। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों की टीम ने कहा कि आपको सिर्फ 5 मिनट में डिसीजन लेना है कि इलाज करवाना है या नहीं। इस पर आयुष्मान योजना के तहत ऑपरेशन करने की बात कही। तब संचालक डॉ. अंकित अग्रवाल के चेंबर से उनका एक असिस्टेंट बाहर आया। कहने लगा कि आयुष्मान योजना के बाद भी 20 हजार रुपए अतिरिक्त लगेंगे। विरोध करने के बाद डॉक्टर निःशुल्क ऑपरेशन को तैयार हो गए। एंजियोप्लास्टी के बाद 24 घंटे के अंदर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया।मरीज के परिजनों का कहना है कि घर जाने के 2 दिन बाद उनकी तबीयत फिर से बिगड़ गई। उन्हें दोबारा भर्ती कराया गया। तबीयत में सुधार न होने के कारण परिजन ने हॉस्पिटल संचालक डॉ. अंकित अग्रवाल से पूछा कि सर ऑपरेशन तो ठीक हुआ है ना? इस बात को लेकर नाराज हुए संचालक ने कहा कि आयुष्मान योजना में फ्री में इलाज भी कराना है और सवाल भी करना है। वे यही नहीं रुके उन्होंने मरीज को घर ले जाने का कह दिया गया। विरोध किया तो संचालक डॉ. अग्रवाल ने बाउंसर बुलाकर परिजनों को बाहर कर दिया। यह पहला मौका नहीं है जब डॉ अंकित अग्रवाल के इस अस्पताल में मरीज से टकराव हुआ है। इसके पूर्व भी अनेकों घटनाएं इस तरह की हो चुकी हैं। बावजूद इसके प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारी अस्पताल संचालक की वास्तविकता को जानकर कोई एक्शन नहीं ले सके हैं।