हाई कोर्ट के जज खुद को सवर्ण और जिला कोर्ट के जजों को शूद्र समझते हैं, बर्खास्तगी के मामले में डबल बेंच की तल्ख टिप्पणी - khabarupdateindia

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हाई कोर्ट के जज खुद को सवर्ण और जिला कोर्ट के जजों को शूद्र समझते हैं, बर्खास्तगी के मामले में डबल बेंच की तल्ख टिप्पणी


रफीक खान
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की प्रिंसिपल बेंच के जस्टिस अतुल श्रीधरन तथा जस्टिस दिनेश पालीवाल ने बर्खास्तगी के एक मामले की सुनवाई करते हुए तल्ख टिप्पणी की। इस तल्ख टिप्पणी की चर्चा समूचे न्याय जगत में हो रही है। हाई कोर्ट की डबल बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट के जज खुद को स्वर्ण तथा जिला अदालत में कार्यरत जजों को शूद्र समझते हैं। न्यायालय के बीच का रिश्ता एक दूसरे के प्रति सम्मान पर आधारित नहीं है बल्कि एक ऐसा रिश्ता है, जहां एक के द्वारा दूसरे के अवचेतन में जानबूझकर भय और हीनता की भावना भर दी जाती है। High Court judges consider themselves upper caste and District Court judges as Shudras, double bench's harsh comment in the case of dismissal

जानकारी के मुताबिक प्रशासनिक न्यायाधीश अतुल श्रीधरन व न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल की युगल पीठ ने अपने एक आदेश में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि हाई कोर्ट और जिला कोर्ट के बीच सामंत और गुलाम जैसे रिश्ते हैं। जिला कोर्ट के जज हाई कोर्ट जजों से मिलते हैं तो उनकी बॉडी लैंग्वेज बिना रीढ़ की हड्डी वाले स्तनधारी के गिड़गिड़ाने जैसी होती है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में व्यापमं मामले में आरोपी को जमानत देने के कारण हाई कोर्ट ने संबंधित जज को बर्खास्त कर दिया। हाई कोर्ट के ऐसे कृत्य से जिला न्यायपालिका में संदेश जाता है कि बड़े मामलों में निर्दोष साबित करने, जमानत देने से संबंधित जज के खिलाफ के विपरीत कारवाई हो सकती है। कोर्ट ने गलत तरीके से बर्खास्त किए गए न्यायाधीश को बैकवेजेस के साथ पेंशन का भुगतान करने को कहा। कोर्ट ने याचिकाकर्ता जज को पांच लाख का मुआवजा प्रदान करने की निर्देश भी दिए। जिला कोर्ट में कार्यरत जजों के लिए निश्चित तौर पर यह फैसला उनके न्यायिक हौसलों में इजाफा करेगा।