रफीक खान
हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण घाटी में स्थित पीणी गांव में एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है। यहां प्रतिवर्ष सावन के महीने में शादीशुदा महिलाएं 5 दिन तक लगातार निर्वस्त्र रहती है। हालांकि कुछ सालों से अब एक पतला कपड़ा पहनने की शुरुआत हो गई है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। जिसके पीछे राक्षसों से सुरक्षा और देवता की श्रद्धा जुड़ी हुई है। इन पांच दिनों में शादीशुदा महिलाएं अपने पतियों से भी मुलाकात नहीं करती है।Strange tradition: Married women stay naked for 5 days in the month of Sawan, do not even meet their husbands
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि निर्लिप्तता और पूर्ण आत्मनिवेदन के प्रतीक इन पाँच दिनों में न तो पति-पत्नी आपस में संवाद करते हैं और न ही एक-दूसरे के समीप आते हैं। यह मौन और विरक्ति का व्रत, संयम की पराकाष्ठा का प्रत्यक्ष उदाहरण बन जाता है। एक छोटा-सा गाँव पीणी, साधारण दृष्टि से भले ही आम लगे, परंतु सावन आते ही यहाँ की वादियाँ श्रद्धा और तपस्या की एक विलक्षण गाथा सुनाने लगती हैं। ग्रामवासियों की मान्यता है कि यदि कोई महिला इस परंपरा से विमुख होती है, तो उस पर अनिष्ट की छाया मंडराने लगती है। गाँव में ऐसे उदाहरणों की कहानियाँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाई जाती हैं, जिनमें असमय मृत्यु, बीमारी या आपदा को इस व्रत-भंग से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि पूर्वकाल में इस ग्राम पर राक्षसों का आतंक था। वे गाँव की सजी-संवरी सुंदर स्त्रियों का अपहरण कर ले जाते थे। इसी संकट से ग्राम को मुक्त कराने ‘लाहुआ घोंड देवता’ का प्राकट्य हुआ। उन्होंने राक्षसों का संहार कर ग्राम को अभयदान दिया। उनके प्रति कृतज्ञता स्वरूप यह व्रत आरंभ हुआ, जिसमें महिलाएँ अपने सौंदर्य और आभूषणों का त्याग कर नैतिक शुद्धता और समर्पण का प्रदर्शन करती हैं।