पत्रकार गंगा पाठक की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट से रोक, सरकार को नोटिस, पूछा- क्रेता पर FIR क्यों? - khabarupdateindia

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पत्रकार गंगा पाठक की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट से रोक, सरकार को नोटिस, पूछा- क्रेता पर FIR क्यों?


रफीक खान
मध्य प्रदेश के जबलपुर में आदिवासी जमीन के बहुचर्चित मामले में पत्रकार गंगा पाठक और उनकी पत्नी ममता पाठक की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। राज्य सरकार की ओर से दर्ज कराए गए मुकदमे के खिलाफ हाई कोर्ट में जमानत याचिका तथा अन्य याचिका प्रस्तुत की गई थी। हाई कोर्ट से राहत न मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई, जहां से जस्टिस एम एम सुंद्रेश तथा जस्टिस विनोद चंद्रन की युगल पीठ ने गिरफ्तारी पर रोक जैसी अंतरिम राहत प्रदान करते हुए राज्य सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा है कि क्रेता पर FIR क्यों की गई? Supreme Court stays arrest of journalist Ganga Pathak, issues notice to government, asks why FIR against buyer?

दरअसल आरोपित तौर पर तिलवारा घाट थाना अंतर्गत ऐंठाखेड़ा के ग्राम रामपुर नकटिया में तीन आदिवासी परिवारों के जाति प्रमाण पत्र बदलकर फर्जी दस्तावेज तैयार कराए गए थे। नायब तहसीलदार पूर्णिमा खंडायत की शिकायत पर तिलवारा पुलिस ने गंगा पाठक, पत्नी ममता पाठक निवासी नरसिंह वार्ड गोरखपुर, ओमप्रकाश त्रिपाठी निवासी पोलीपाथर, संजीव श्रीवास्तव सैनिक सोसायटी, भारत मेहरा खहरिया जिला कटनी, दीपक मिश्रा खहरिया जबलपुर, नारायण प्रसाद श्रीवास, रामकुमार मांझी, दीपक कुमार साहू व एक अन्य निवासी जबलपुर के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, साजिश रचने सहित अजा-अजजा अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है। बरगी थाने में भी इसी तरह की FIR दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट मनीष क्षीरसागर और रवि शंकर यादव ने कहा कि आवेदक द्वारा जमीन को जिस समय क्रय किया गया था, वह सामान्य में दर्ज थी और आवेदक सिर्फ क्रेता है। उन्होंने रकम देकर जमीन को खरीदा है। नामांतरण करवाने की प्रक्रिया के दौरान यह बात सामने आई कि जमीन आदिवासी की है। इसके बाद विक्रेता द्वारा जमीन को शून्य करने का आवेदन दिया गया लेकिन संबंधित एसडीएम द्वारा FIR करवाने की कार्रवाई कर दी गई। प्रथमदृष्टया मामले में अंतरिम राहत देते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया है।