रफीक खान
तमाम तरह के हथकंडे अपनाने वाला स्वयंभू संत रामपाल इस समय जेल में रहकर देवी देवताओं पर निशाना साध रहा है। सनातनियों के खिलाफ उसने एक तरह से अभियान छेड़ रखा है। खुले तौर पर वह किताबें लिख रहा है। सनातनियों को धार्मिक तौर पर भावनात्मक रूप से आहत करने जानबूझकर और दुर्भावना पूर्ण इरादे से पुस्तक सहित पोस्ट और परिचय निशुल्क तौर पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मामला अब हाई कोर्ट तक पहुंच गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने हिसार सेंट्रल जेल के जेलर से कुछ सवालों के जवाब तलब किए हैं। जेलर को यह तमाम सवालों के जवाब शपथ पत्र के साथ हाईकोर्ट में प्रस्तुत करना होगा। The jailer will have to explain how inflammatory books are being written while in jail by submitting an affidavit in the High Court.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस शेखर बी सराफ और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस और अन्य द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। जिसमें हिंदू देवी-देवताओं के कथित रूप से अभद्र चित्रण वाली पुस्तकों और अन्य साहित्य पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने, उन्हें जब्त करने और जब्त करने के साथ-साथ बीएनएस के प्रावधानों के तहत संत रामपाल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई थी। पीठ ने सहायक पुलिस आयुक्त से नीचे के पद के किसी व्यक्ति से एक पूरक हलफनामा भी मांगा है, जिसमें विभिन्न पुस्तकों के ठिकानों की खोज के लिए उठाए गए कदमों के साथ-साथ इस साल जुलाई में हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश के अनुसरण में एक्स कॉर्प और गूगल एलएलसी की साइटों सहित इंटरनेट साइट से सामग्री को हटाने के लिए उठाए गए कदमों का संकेत हो । याचिका में जिन पुस्तकों का नाम दिया गया है, जिनमें जीने की राह , ज्ञान गंगा , गरिमा गीता की और अंध श्रद्धा भक्ति – खतरा-ए-जान शामिल हैं। रामपाल करीब 9 साल से जेल में बंद है और वह तमाम किताबों के माध्यम से सनातनी परंपरा और व्यवस्था के खिलाफ बिल्कुल फूंक रहा है।