रफीक खान
बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सजा-ए- मौत सुना दी। मानवता के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले में यह दंड शेख हसीना को दिया गया है। इसके बाद शेख हसीना ने जहां इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल को फर्जी अदालत बताया तो बांग्लादेश सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। इस फैसले के बाद शेख हसीना के पास अपील का रास्ता बचा है। 30 दिन के भीतर अपीलेट कोर्ट में शेख हसीना को आत्मसमर्पण करने के बाद यह लाभ मिल सकता है। यानी की 17 नवंबर से 17 दिसंबर 2025 तक शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग पर काफी भारी होंगे। शेख हसीना के खिलाफ आए इस निर्णय पर भारत का रुख बहुत अहम होगा। भारत ने फिलहाल सभी पक्षों और सभी एंगल से बातचीत और राय शुमारी की बात कही है। Hasina, who has taken refuge in India, will have to go to Bangladesh to appeal; 30 days will be tough on the Awami League.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि शेख हसीना ने पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद देश छोड़ दिया था। तबसे ही वह भारत में रह रही हैं। हसीना के जाने के बाद मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश की सत्ता संभाली थी और वह अंतरिम सरकार के प्रमुख हैं। अब भारत ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे दी है। भारत ने कहा है कि उसने इस फैसले पर गौर किया है और वह पड़ोसी देश में शांति, लोकतंत्र और स्थिरता को ध्यान में रखते हुए सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक रूप से बातचीत करेगा। वहीं, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी करते हुए भारत सरकार से शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंपने को कहा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि मानवता के विरुद्ध अपराधों के दोषी इन व्यक्तियों को शरण देना किसी भी अन्य देश के लिए अमित्र व्यवहार का गंभीर उल्लंघन और न्याय का उपहास होगा। हम भारत सरकार से इन दोनों दोषियों को तुरंत बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंपने का आग्रह करते हैं। दोनों देशों के बीच मौजूदा प्रत्यर्पण संधि के तहत यह भारत का दायित्व भी है।
