रफीक खान
कई नक्सलियों को मौत के घाट उतार कर दो बार वीरता पुरस्कार हासिल करने वाले मध्य प्रदेश पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर आशीष शर्मा पर नक्सलियों ने जमकर गोलियां की बरसात की। काफी बचते बचाते उन्हें चार गोलियां लग ही गई और वे शहीद हो गए। आशीष शर्मा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा महाराष्ट्र राज्य के संयुक्त नक्सल विरोधी अभियान में मध्य प्रदेश टीम को लीड कर रहे थे। आशीष शर्मा का अंतिम संस्कार गुरुवार को नरसिंहपुर जिले के बोहानी में किया जाएगा। He was leading the Madhya Pradesh team in a joint operation involving three states; his last rites will be performed in Narsinghpur today.
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि आशीष शर्मा मध्यप्रदेश हॉक फोर्स में इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ थे और छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र सीमा पर राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ क्षेत्र में बुधवार को नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में उन्हें वीरगति प्राप्त हुई। उन्हें मुठभेड़ के दौरान सीने, पेट और पैर में गोली लगने की बात सामने आई है। बोहानी गांव के रहने वाले आशीष शर्मा साल 2016 बैच के प्लाटून कमांडर थे। आशीष शर्मा तीन राज्यों मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की संयुक्त नक्सल उन्मूलन टीम का नेतृत्व कर रहे थे। बुधवार को नक्सलियों के मूवमेंट की सूचना के बाद जंगल में आशीष शर्मा टीम के साथ सर्चिंग पर गए थे जहां नक्सलियों से मुठभेड़ हुई। आशीष शर्मा के पिता देवेन्द्र शर्मा किसान हैं और उनका एक छोटा भाई भी है जो भोपाल में पढ़ाई कर रहा है। आशीष के परिचितों ने बताया कि आशीष शानदार व्यक्तित्व के धनी थे। हाल ही में उनकी शादी तय हुई थी और जनवरी के महीने में उनकी शादी होने वाली थी। आशीष शर्मा को पूर्व में कर्तव्य के दौरान अदम्य साहस, असाधारण बहादुरी प्रदर्शित करने के लिए दो बार भारत सरकार द्वारा वीरता पदक से सम्मानित किया गया था।इंस्पेक्टर आशीष शर्मा के शहीद होने की खबर से उनके गांव में दुख का माहौल है। वहीं मध्यप्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी एक्स पर पोस्ट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। सीएम मोहन यादव ने अपनी पोस्ट में लिखा है- आज म.प्र. हॉक फोर्स के निरीक्षक आशीष शर्मा नक्सलियों से मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए। मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मेरी संवेदनाएं शोकाकुल परिजनों के साथ हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की संयुक्त टीम द्वारा छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के जंगलों में नक्सल विरोधी ऑपरेशन के दौरान उन्होंने अभूतपूर्व वीरता और साहस का प्रदर्शन किया। नक्सल उन्मूलन के राष्ट्रीय अभियान में उनका सर्वोच्च बलिदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा।
