रफीक खान
टैक्सोनॉमी, म्यूजियोलॉजी, जिओ सेप्टियल, मॉलेक्युलर तकनीक और इंस्ट्रूमेंटेशन पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन सोमवार को किया गया। 19 दिसंबर तक चलने वाले इस आयोजन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉक्टर पी आर चंदेलकर ने कहा कि लाइफ साइंस के क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए अपार संभावनाएं हैं। विद्यार्थी अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उस दिशा में सही प्रयास करें। आयोजन में तकनीकी विषयों पर गहन चर्चा और शोध पत्र भी प्रस्तुत किए जाएंगे। In the inaugural session, Chief Guest Chandelkar said – There are immense possibilities in the field of life sciences, the event will continue till 19th.
शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के प्राणी शास्त्र, जैव तकनीकी विभाग एवं जूलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया कोलकाता के संयुक्त तत्वाधान में 15 दिसंबर से 19 दिसंबर 2025 तक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। टैक्सोनोमी ,म्यूजियोलॉजी ,जि ओ सेप्टियल, मॉलेक्युलर तकनीक और इंस्ट्रूमेंटेशन विषय पर आयोजित कार्यशाला के प्रथम सत्र उद्घाटन सत्र का शुभारंभ मां सरस्वती के पूजन एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। मुख्य अतिथि डॉ पी आर चंदेलकर अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा जबलपुर संभाग ने इस अवसर पर विद्यार्थियों से कहा कि आज रिसर्च बहुत आगे लेवल पर पहुंच रही है स्पीशीज का आइडेंटिफिकेशन भी मॉलिक्युलर लेवल तक करना आवश्यक है। टैक्सोनोमीकी का टैक्सोनोमी के अध्ययन में महत्वपूर्ण रोल है। विद्यार्थी अपना लक्ष्य निर्धारित करें एवं उसे दिशा में सही प्रयास करें। लाइफ साइंस के क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए अपार संभावनाएं हैं।
बायोडायवर्सिटी में परिवर्तन
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ शिखा सक्सेना ने कहा कि आज जलवायु परिवर्तन तेजी के साथ हो रहा है इससे बायोडायवर्सिटी में बहुत परिवर्तन आया है इसका अध्ययन भी बहुत महत्वपूर्ण है, महाविद्यालय का प्राणी एवं भूगर्भ शास्त्र का म्यूजियम बहुत अच्छा है विद्यार्थी उसे भी देखे वहां प्राणियों को संरक्षित करने एवं उनके प्रदर्शन की तकनीकी जाने। विभाग की अध्यक्ष डॉ सुनीता शर्मा ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं कार्यशाला के महत्व को बतलाया। डॉ नेहा ढ़िमोले वैज्ञानिक जो जर्मनी से पधारी थी उन्होंने कहा कि विद्यार्थी हमेशा आगे बढ़ाने की सोच रखें ।
प्रीती खरे ने किया संचालन
कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रीति खरे किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ शंपा जैन ने किया। द्वितीय सत्र में डॉ अनिरुद्ध मजूमदार वैज्ञानिक स्टेट फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट मुख्य वक्ता थे। उन्होंने मेगा हार्विवोर जैसे हाथी एवं सांभर के मध्य प्रदेश में संरक्षण के बारे में बताया एवं कहा कि विद्यार्थी जब किसी राष्ट्रीय उद्यान में जाएं तो केवल टाइगर एवं लेपर्ड को ही फोकस ना करें अन्य प्राणियों को भी देखें । मेगा हार्विवोर प्राणी घास के मैदान ,गन्ने के खेत आदि में पाए जाते हैं। इनकी इकोसिस्टम में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। इन्हें ग्रासलैंड का इंजीनियर भी कहा जाता है। इनके गणना की विधि एवं मैनेजमेंट के तरीके भी बताएं। कार्यक्रम में डॉ नीलिमा पैंकरा, डॉ विनीता रतोनिया, डॉ रुपाली जैन ,डॉ सोनिल जैन, डॉ सुनील चौधरी, डॉ सोनिल मार्क्सकोले एवं अंजली मिश्रा का सहयोग रहा । इस अवसर पर डॉ जया बाजपेई , डॉ मंजुला बाजपेई , डॉ प्रतीक्षा गौर एवं डॉ रचना सांचा सहित महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे ।
