रफीक खान
मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में शिक्षा जैसे पवित्र मंदिर की देखभाल करने वालों ने भ्रष्टाचार की ऐसी पेंटिंग की कि वह पूरे देश में चर्चित हो गई। मध्य प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने मामले को संज्ञान में लिया तथा प्रथम दृष्टया सिर्फ प्राचार्य को दोषी मानते हुए सस्पेंड कर दिया है। साथ ही मामले की जांच के निर्देश आयुक्त लोक शिक्षण को दिए गए हैं। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी समेत अन्य कई जिम्मेदार कटघरे में है, जिन्होंने मात्र 24 लीटर पेंट की पुताई के लिए 443 मजदूर लगा डाले और सरकारी धन की होली खेल ली। शिक्षा विभाग का नाम भी धूमिल किया। Painting of scam, minister suspended the principal, many including DEO are in the dock, orders given for investigation
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि शहडोल के ब्यौहारी विधानसभा क्षेत्र के दो सरकारी स्कूलों सकंदी हाई स्कूल और निपनिया उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में मेंटेनेंस के नाम पर फर्जीवाड़ा सामने आया। ब्यौहारी जनपद की इन दोनों शालाओं में अनुरक्षण कार्य जैसे पुताई और खिड़की-दरवाजों की फिटिंग के लिए सैकड़ों मजदूरों और मिस्त्रियों को कार्यरत दिखाकर लाखों रुपये का भुगतान कर लिया गया। सकंदी हाई स्कूल में केवल 4 लीटर पेंट के लिए 168 मजदूर और 65 मिस्त्री दिखाए गए और 1,06,984 का भुगतान कर दिया गया। वहीं निपनिया स्कूल में 20 लीटर पेंटिंग, 10 खिड़कियां और 4 दरवाजे लगाने के लिए 275 मजदूर और 150 मिस्त्री दिखाकर 2,31,685 की राशि स्वीकृत की गई। निपनिया स्कूल के बिल को 5 मई 2025 को ठेकेदार ‘सुधाकर कंस्ट्रक्शन’ ने तैयार किया, लेकिन स्कूल प्राचार्य ने उसी बिल को एक माह पहले, 4 अप्रैल 2025 को ही सत्यापित कर दिया। इस फर्जी प्रक्रिया पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री ने दोहराया है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। अब जरूरत सिर्फ इस बात की है कि अगर मंत्री जी ने मामला संज्ञान में लिया ही है और मुख्यमंत्री की मंशानुसार वे शिक्षा विभाग की छवि और सरकार की छवि की फिक्र करते हैं तो जांच ईमानदारी के साथ होना चाहिए।