रफीक खान
मध्य प्रदेश की कटनी निवासी एडवोकेट अर्चना तिवारी के लापता होने की मिस्ट्री की गुत्थी सुलझाने में पुलिस कामयाब हो गई। पूछताछ और विवेचना में पुलिस को पता चला कि शुजालपुर निवासी सारांश जैन नाम के एक युवक से अर्चना तिवारी की दोस्ती के बाद उसकी जिंदगी बदल गई। वह लगातार आ रहे शादी के प्रस्ताव और परिजनों द्वारा एक पटवारी युवक से शादी करने के दबाव के चलते लापता होने की योजना बनाने को मजबूर हुई। इस दौरान तीन शहर बदले, नेपाल तक गई। ट्रेन-फ्लाइट में सफर होता रहा और कई लोग इस घटनाक्रम के शक के दायरे में आए। पुलिस ने किसी के खिलाफ भी कोई प्रकरण फिलहाल कायम नहीं किया है। अर्चना तिवारी की सोच, उसकी योजना और इस काम के लिए चुने गए रक्षाबंधन जैसे समय की परिस्थितियां, समाज और मनोवैज्ञानिकों के लिए जरूर चिंता का विषय हो सकती है। Friendship with Saransh changed her life, she changed three cities, went to Nepal, finally police succeeded in solving the mystery
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि लगभग 29 वर्षीय अर्चना मूलतः कटनी की निवासी हैं, और जबलपुर में युवा अधिवक्ता अपूर्व त्रिवेदी के यहां जूनियरशिप में वकालत की प्रैक्टिस कर चुकी हैं। बाद में वह इंदौर शिफ्ट हो गईं और वहीं से ज्यूडिशियल सर्विस की तैयारी कर रही थीं। इस दौरान उनके लिए कुछ शादी के रिश्ते आए, जिनमें से उन्होंने सभी को ठुकरा दिया। घरवालों ने इस बार राखी पर कहा कि अब पढ़ाई बंद करो और एक पटवारी से शादी करनी होगी, जिससे वह मानसिक रूप से असहज हो गईं। 1 जनवरी को अर्चना की मुलाकात सारांश से एक ट्रेन यात्रा के दौरान हुई थी। दोनों के बीच ड्रोन कंपनी के रजिस्ट्रेशन को लेकर बातचीत हुई और यहीं से संपर्क बना रहा। दोस्ती गहरी होती गई और अर्चना ने अपनी परेशानियां सारांश से साझा कीं। अर्चना तिवारी ने पुलिस पूछताछ में प्रेम प्रसंग से स्पष्ट इनकार किया और कहा कि सिर्फ दोस्ती थी, कोई संबंध नहीं।
नदी में फेके कपड़े और घड़ी
पत्रकारों से चर्चा करते हुए भोपाल एसआरपी राहुल लोढ़ा मैं जानकारी प्रदान की कि अर्चना ने ट्रेन से लापता होने की प्लानिंग पहले ही कर ली थी। उसे भरोसा था कि जीआरपी ज्यादा खोजबीन नहीं करती, इसलिए उसे आसानी से गायब होने का मौका मिलेगा। इटारसी में उसे तेजेंद्र नामक युवक मिला, जो एक ट्रैवल एजेंसी में काम करता है और इंदौर में ही सारांश के पास रहता था। अर्चना ने सारांश से कपड़े मंगवाए, जो तेजेंद्र ने ट्रेन में पहुंचाए. उसने तेजेंद्र को कहा कि उसके कपड़े और घड़ी नदी में फेंक दो, ताकि लगे कि वह ट्रेन से गिर गई है. ट्रेन से उतरने के बाद शुजालपुर पहुंची, जहां सारांश के साथ रुकी। शुजालपुर से बुरहानपुर, फिर हैदराबाद, उसके बाद जयपुर और दिल्ली गई। इस दौरान मोबाइल को फ्लाइट मोड में रखा, ताकि ट्रेस न हो सके। अंततः वह नेपाल बॉर्डर पार कर गई और वहां कुछ दिन रही। सारा सफर अर्चना तिवारी और उसके साथ ही सारांश ने टोल नाको और किलोज सर्किट कैमरा से बचकर पूरा किया। सारांश जैन अपना मोबाइल भी साथ लेकर नहीं गया ताकि लोकेशन ट्रेस ना हो सके। कुल मिलाकर पूरी सावधानी और एहतियात बरता गया कि कहीं कुछ पकड़ में ना आ पाए। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पुलिस ने कहा कि तेजेंद्र और सारांश दोनों से अर्चना के संबंधों की पुष्टि हुई। सारांश ने तेजेंद्र की कर्ज चुकाने में मदद की थी, इसलिए वह भी इसमें शामिल रहा। सारांश जैन के पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं। तेजिंदर इस घटनाक्रम के बीच ही एक फ्रॉड मामले में दिल्ली पुलिस के हाथों चढ़ गया है। आरक्षक राम तोमर पूरे मामले में अहम किरदार रहा लेकिन उसका सीधा संबंध सामने नहीं आया है।