रफीक खान
सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए फैसले को रद्द कर दिया गया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव की सरकार द्वारा लिया गया फैसला भारतीय वन सेवा के अधिकारियों से जुड़ा हुआ है। आईएएस तथा आईएफएस अधिकारियों के बीच निर्मित हो रही तकरार के इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। "Supreme Court cancels Mohan Sarkar's decision", case of annual evaluation of IFS officers
जानकारी के मुताबिक कहा जाता है कि नौकरशाहों के बीच कामकाज के मूल्यांकन के विवाद का पटाक्षेप करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस अगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। इसमें भारतीय वन सेवा (IFS) अफसरों की वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट (ACR) भरने का अधिकार आइएएस (IAS) अफसरों को देने का 2024 में जारी किया था। कोर्ट ने कहा एपीसीसीएफ के पद तक एसीआर उसके वरिष्ठ को भरनी चाहिए। केवल पीसीसीएफ के संबंध में रिपोर्टिंग प्राधिकरण वह व्यक्ति होगा, जिसे वह रिपोर्ट करता है या उससे सीनियर है। आवश्यक हो तो जिला प्रशासन द्वारा वित्तपोषित कार्यों के कार्यान्वयन के संबंध में उनके प्रदर्शन की एक अलग शीट पर अपनी टिप्पणियां दर्ज कर सकते हैं। इस पर भी विचार वरिष्ठ आइएफएस के सीनियर अधिकारी ही करेंगे। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने दोहराया कि उसके आदेश को केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय ने सही तरीके से समझा था, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने कोर्ट के पूर्व आदेशों का उल्लंघन करते हुए आदेश जारी किया। हालांकि अवमानना की कार्यवाही को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की।