रफीक खान
मध्य प्रदेश के जबलपुर में 2022 में हुए न्यू लाइफ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के अग्निकांड मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सीएमएचओ के इंक्रीमेंट रोकने की सजा पर हाई कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव से सवाल किया है कि वह इस सजा से संतुष्ट है या नहीं? हलफनामे में जवाब के लिए निर्देश दिए गए हैं। मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मालीमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगल पीठ में हो रही है। राज्य सरकार द्वारा एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसके अवलोकन के बाद हाई कोर्ट ने उक्त सवाल खड़ा किया है।
यह याचिका लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से दायर की गई थी। याचिका में जबलपुर में न्यू लाइफ प्राइवेट अस्पताल को संचालन की अनुमति प्रदान किए जाने को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि नेशनल बिल्डिंग कोड, फायर सिक्योरिटी के नियमों का पालन नहीं किया गया है। जमीन के उपयोग का उद्देश्य दूसरा होने के बावजूद भी अस्पताल संचालन की अनुमति दी गई है। याचिका के अनुसार बिल्डिंग का कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र नहीं होने के बावजूद भी अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गई। भौतिक सत्यापन किए बिना अस्पताल संचालन की अनुमति प्रदान की गई। याचिका पर हुई पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गई थी। याचिकाकर्ताओं की तरफ से आपत्ति पेश करते हुए युगलपीठ को बताया गया था कि एक्शन टेकन रिपोर्ट में एफआईआर की वर्तमान स्थिति के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है। जबलपुर के न्यू लाइफ अस्पताल अग्निकांड में हुई आठ व्यक्तियों की मौत के मामले में सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि तत्कालीन सीएचएमओ के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनका एक इंक्रीमेंट रोका गया है। अस्पताल का निरीक्षण करने वाले डॉक्टरों की टीम के खिलाफ विभागीय जांच लंबित है। हाईकोर्ट ने इंक्रीमेंट रोकने की सजा को गंभीरता से लिया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि वह सजा से संतुष्ट हैं, इस संबंध में हलफनामे के साथ जवाब पेश करे। याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश करते हुए उक्त जानकारी पेश की गई। कोर्ट ने सुनवाई के बाद आदेश जारी किए।